जहा एक तरफ सोने की कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है वही दूसरी तरफ पुराने गोल्ड (Old Gold) की बिक्री में 25 प्रतिसत की ग्रोथ देखि जा रही है। सोने की कीमतों में तेजी होने की वजह से पुराने गोल्ड (Old Gold) की बिक्री बढ़ती जा रही है।
एसोसिएशन ऑफ गोल्ड रिफाइनरीज एंड मिंट्स के पूर्व सचिव जेम्स जोस का कहना है:
दक्षिण भारत में कुछ लोग पुराने गोल्ड के बदले नए गोल्ड का एक्सचैंज कर रहे हैं, जबकि कुछ लोग पुराने गोल्ड के बदले कैश ले रहे हैं। वही दूसरी तरफ उत्तर भारत में यह चलन पहले से ही होने लगा था। जोस के मुताबिक, आमतौर पर फरवरी और मार्च मे लोगों को अपने बच्चों के कॉलेज में दाखिले के लिए पैसों की जरूरत होती है और इसलिए लोग गोल्ड पर कम खर्चा करते है, जिसकी वजह से फरवरी और मार्च महीने मे सोने के बिजनेस कम हो जाता है । ।
ज्वैलर्स और गोल्ड रिफाइनर्स की माने तो, सोने की कीमतें 60,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के को पार जा चुकी हैं और पुराने सोने की बिक्री साल-दर-साल 25% बढ़ी है।
1947 से अब तक गोल्ड की कीमत का इतिहास
कारण, जिनकी वजह से गोल्ड की कीमत पर असर पड़ता है
शादी और त्योहारों की वजह से देश में गोल्ड की डिमांड बढ़ जाती है, जिस कारण से गोल्ड कीमत बढ़ जाती है ।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया की इनकम और गोल्ड का प्राइस लेवल ये दो महत्वपूर्ण कारण है जो लॉन्ग टर्म में उपभोक्ता की डिमांड को प्रभावित करते हैं।
इसके इलावा कुछ और भी कारण है:
महंगाई
वस्तुओं और सेवाओं की कीमत बढ़ने से गोल्ड की कीमतों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है क्युकी महंगाई की वजह से गोल्ड की कीमत भी बढ़ जाती है ऐसा इसलिए है क्योंकि आमतौर पर महंगाईके दौरान लोग सोने के रूप में धन रखना पसंद करते हैं, यह देखते हुए कि लंबे समय में सोने का मूल्य स्थिर रहता है, जिसके कारण गोल्ड की डिमांड बढ़ जाती है। इस प्रकार, सोना महंगाईके खिलाफ हेजिंग टूल का काम करता है।
ब्याज दर
सामान्य परिस्थितियों में पारंपरिक रूप से ब्याज दरों और सोने की कीमतों में विपरीत संबंध रहा है; यानी बढ़ती ब्याज दरों के साथ, लोग आमतौर पर अधिक लाभ कमाने के लिए गोल्ड बेचना पसंद करते हैं। हालांकि, ब्याज दर में कमी के साथ, लोग ज्यादा गोल्ड खरीदना पसंद करते हैं, जिस वजह से गोल्ड की कीमत और डिमांड बढ़ जाती है।
भारत का ज्वेलरी बाजार
भारतीय परिवारों द्वारा एक गोल्ड को स्ट्रैटेजिक एसेट के रूप में देखा जाता है, गोल्ड भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग भी है। भारत में शादी फंक्शन से लेकर दिवाली जैसे त्योहारों में बड़ी मात्रा में गोल्ड का उपयोग होता है,भारतीय घरों में सोना एक विशेष स्थान रखता है। और इन्ही कारणो से भारतीय बाजार में कंस्यूमर डिमांड बढ़ने की वजह से गोल्ड की कीमत भी बढ़ जाती है ।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) की 2019 की एक रिपोर्ट के हिसाब से अंदाजा लगाया गया कि भारतीय घरों में 25,000 टन सोना जमा हो सकता है, जिससे भारत कीमती धातु का दुनिया का सबसे बड़ा धारक बन गया है।
RBI के पास गोल्ड रिज़र्व
भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) जो की भारत का केंद्रीय बैंक है,करेंसी के साथ-साथ गोल्ड रिज़र्व भी रखता है, और जब RBI गोल्ड की सेल के कम्पेरिज़न में अधिक मात्रा में सोना खरीदना शुरू करता है, तो इससे गोल्ड की कीमत बढ़ जाती है।
गोल्ड पर रुपया-डॉलर का प्रभाव
यह समझना इम्पोर्टेन्ट है कि रुपये-डॉलर का समीकरण भारत में गोल्ड की कीमत को कैसे प्रभावित करता है। इस फैक्ट को ध्यान रकते हुए कि ज्यादातर फिजिकल गोल्ड का इम्पोर्ट किया जाता है, तो अगर डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होता है, तो रुपये के टर्म्स में गोल्ड की कीमत में बढ़ जाती है। और इस तरह रुपये की वैल्यू में गिरावट,भारत में गोल्ड की डिमांड पर असर पड़ सकता है।
आखिर में इस पूरी रिपोर्ट से हम समझ सकते है की जैसे 1947 से लेकर अभी तक पिछले कुछ दसको में गोल्ड की कीमत बढ़ती आ रही है । तो इससे उम्मीद की जा सकती है आने वाले कुछ दसको के बाद भी गोल्ड की कीमत में उछाल देखने को मिलेगी और क्युकी भारतीय परिवारों द्वारा एक गोल्ड को स्ट्रैटेजिक एसेट के रूप में देखा जाता है।
तो इस रिपोर्ट में मेंशन, गोल्ड की प्राइस हिस्ट्री और गोल्ड के प्राइस पर असर डालने वाले फैक्टर्स को ध्यान में रखते हुए ही हमे गोल्ड को खरीदना या बेचना चाहिए।