Oilseeds Prices
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
तेल तिलहनों के भाव में दिल्ली बाजार में सुधार का रुख दिखाई दिया है। बाजार सूत्रों के मुताबिक सीपीओ के खरीदार इस समय बहुत कम हैं। इसका कारण पामोलीन तेल (रिफाइंड) के आयात शुल्क (import duty) में कमी किए जाना है। इसके भाव लगभग सीपीओ के बराबर हो गये हैं। इस कारण कोई भी सीपीओ का आयात नहीं कर रहा क्योंकि उस पर सीपीओ (CPO) के प्रसंस्करण में अलग से खर्च आएगा। वहीं कच्चा पामतेल की खरीदारी न होने के बावजूद मलेशिया में इसके भाव उछलकर रिकॉर्ड स्तर पर हैं।
उधर, पामोलीन कहीं सस्ते में बाजार में उपलब्ध है। ऐसे में कोई भी सीपीओ क्यों खरीदना चाहेगा। बताया गया है कि बाजार में परस्पर समूह बनाकर कारोबार को संचालित किये जाने की बात से इनकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि भाव जबरदस्ती ज्यादा बने हुए हैं।
सीपीओ के भाव में 3.5 प्रतिशत का उछाल
बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया में काफी सट्टेबाजी हो रही है। शुक्रवार को वहां सीपीओ के भाव में 3.5 प्रतिशत का उछाल आया है। जबकि खरीदारी तो है ही नहीं। तेल की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने और तेल आपूर्ति बढ़ाने के लिए भारत में शुल्क घटाये गए हैं। इसके बावजूद मलेशिया में भाव में रिकार्ड वृद्धि कर दी गई है जबकि इस कृत्रिम तेजी वाले भाव पर लिवाल दूर दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं। मलेशिया और इंडोनेशिया की मनमानी का उपभोक्ताओं को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
सरकार सरसों का तेल का बनाएं स्टॉक
बाजार सूत्रों ने कहा कि इस मौसम के दौरान सरसों में घट-बढ़ अक्सर देखी जाती है और यह तब तक बनी रहेगी, जब तक नयी फसल न मंडियों में आ जाएं। उन्होंने कहा कि इस बार सरकार की तरफ से सहकारी संस्थाओं को सरसों की खरीद कर इसका स्टॉक बनाना चाहिये ताकि असामान्य स्थितियों में यह हमारे काम आये। बाजार सूत्रों का कहना है कि सरकार को सरसों की खरीद कर स्टॉक बनाना चाहिए। हमारी पाइपलाइन एकदम खाली है, ऐसे में अगले साल इसमें दिक्कत आ सकती है।
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