Ukraine Crisis
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
रूस और यूक्रेन के बीच ऐलान ए जंग शुरू हो चुकी है। इस युद्ध के अभी से साइड एफेक्ट नजर आने लग गए हैं। सोना के दाम 51000 के पार हो गए हैं और क्रूड आयल (Crude Oil) 101 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गया है। कच्चे माल की लागत बढ़ने की आशंका तेज हो गई है। कोरोना वायरस के कारण ग्लोबल इकोनॉमी पहले से क्राइसिस में है।
इसके बाद बढ़ती महंगाई की समस्या विकराल हो रही थी। वहीं अब यूक्रेन पर रूस के हमले ने इकोनॉमी को झकझोड़ दिया है। जापानी फाइनेंशियल कंपनी नोमुरा ने अपनी रिपोर्ट पेश की है जिसमें बताया गया है कि यूक्रेन क्राइसिस से महंगाई का दबाव बढ़ेगा और एशिया में सबसे ज्यादा भारत को इसका नुकसान उठाना पड़ेगा।
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि फूड और आयल प्राइस बढ़ने से एशियाई देशों पर प्रतिकूल असर होगा। इन देशों की वित्तीय व्यवस्था मजबूत नहीं है। भारत ने चालू वित्त वर्ष के लिए फिस्कल डेफिसिट का लक्ष्य बढ़ाकर जीडीपी का 6.9 फीसदी कर दिया है। अगले वित्त वर्ष के लिए यह अनुमान 6.4 फीसदी रखा गया है।
भारत कच्चे तेल का बहुत ज्यादा आयातक
नोमुरा की रिपोर्ट (Nomura report) में बताया गया है कि एशिया में भारत, थाइलैंड और फिलिपीन्स की अर्थव्यवस्था पर इसका सबसे बुरा असर होगा। भारत कच्चा तेल का बहुत ज्यादा आयात करता है। ऐसे में दाम बढ़ने से ट्रेड डेफिसिट बढ़ेगा। नोमुरा की रिपोर्ट में कच्चे तेल में 10 फीसदी के उछाल से जीडीपी ग्रोथ रेट में 0.20 प्वाइंट्स की गिरावट आने का अनुमान जताया गया है। माना जा रहा है कि रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया महंगाई को कंट्रोल करने के लिए बहुत जल्द कड़े रुख अख्तियार कर सकता है। रिजर्व बैंक का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2022-23 में औसत महंगाई 4.5 फीसदी रहेगी।
जून में बढ़ी सकते हैं रेपो रेट
नोमुरा के मुताबिक कि रिजर्व बैंक जून से रेपो रेट में बढ़ोतरी कर सकता है। उसका अनुमान है कि रिजर्व बैंक इस साल रेपो रेट में 1 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकता है।
Also Read : Share Market में शानदार रिकवरी, सेंसेक्स 1300 अंक उछला
Also Read : Share Market में T+1 Settlement System आज से होगा लागू