ABG Shipyard Fraud Case
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
ABG शिपयार्ड से जुड़े बैंक धोखाधड़ी के मामले में सीबीआई की टीम ने लगभग आधा दर्जन बैंक अधिकारियों से पूछताछ की है। बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों की कंपनी को दिए गए लोन को लेकर जांच चल रही है। CBI ने जिन लोगों से पूछताछ की है उनमें एक बैंक के कई अधिकारी शामिल हैं। इस बैंक ने ABG शिपयार्ड को ज्यादा कर्ज दिया है।
सूत्रों के मुताबिक ईडी ने एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड, उसके पूर्व प्रमोटरों के साथ-साथ अन्य के खिलाफ 22,842 करोड़ रुपये से अधिक के 28 बैंकों के एक संघ को धोखा देने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग का आपराधिक मामला दर्ज किया है। बताया गया है कि 28 बैंकों के एक समूह ने ABG शिपयार्ड को 22,842 करोड़ रुपए का कर्ज दिया था। यह कर्ज डूब गया है। ईडी की जांच में कंपनी की विदेशी सहायक कंपनी में कर्ज को डायवर्ट कर भारी निवेशह् करने के उदाहरण भी शामिल होंगे।
बताया जा रहा है कि इस मामले पर CBI जल्द ही और भी बैंक अधिकारियों से पूछताछ करेगी। इस बीच CBI ABG शिपयार्ड के पूर्व अध्यक्ष ऋषि अग्रवाल से पूछताछ जारी रखे हुए है। गुरुवार को उन्हें तीसरी बार तलब किया गया था। इससे पहले अग्रवाल से सोमवार और मंगलवार को हर दिन 9 घंटे से अधिक समय तक कड़ी पूछताछ की जा चुकी है।
कहा गया कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) विशेष रूप से बैंक ऋण निधि के कथित डायवर्सन, सार्वजनिक धन को लूटने के लिए मुखौटा फर्मों के निर्माण और कंपनी के अधिकारियों और अन्य की भूमिका के आरोपों पर गौर करेगा।
मनी लॉन्ड्रिंग और फंड की लेयरिंग स्थापित होने के बाद एजेंसी आरोपियों की संपत्ति कुर्क करने के लिए भी आगे बढ़ सकती है। कंपनी को दिए गए लोन में (कैश क्रेडिट) लोन, टर्म लोन, लेटर आॅफ क्रेडिट, बैंक गारंटी आदि जैसी श्रेणियां शामिल हैं।
22,842 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी
CBI ने एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड और उसके तत्कालीन अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल सहित अन्य के खिलाफ बैंकों के संघ को 22,842 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज किया था। CBI स्वतंत्र निदेशकों से भी पूछताछ करने वाली है। दरअसल, किसी भी कंपनी में स्वतंत्र निदेशक भी गड़बड़ियों के लिए जिम्मेदार होते हैं।
क्या काम करती है ABG Shipyard Company
जानना जरूरी है कि ABG शिपयार्ड कंपनी जहाज के निर्माण और मरम्मत का काम करती है। इसके शिपयार्ड गुजरात के दहेज और सूरत में स्थित हैं। FIR के मुताबिक यह घोटाला अप्रैल 2012 से जुलाई 2017 तक का है। इस घोटाले को बैंकिंग फ्रॉड में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला कहा जा सकता है, क्योंकि यह नीरव मोदी से भी बड़ा घोटाला है।
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