NBFC
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
गैर-बैंकिंग कर्जदाताओं की सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (जीएनपीए) यानि फंसे कर्ज में बढ़ोतरी हुई है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर तिमाही में 1.50 प्रतिशत बढ़कर 6.80 प्रतिशत पर जा पहुंचा है। इसका कारण भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मानकों में संशोधन होने से बताया गया है।
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुताबिक आरबीआई के मानकों में अगर बदलाव नहीं हुआ रहता तो गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के जीएनपीए में अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 0.30 प्रतिशत का सुधार दर्ज किया गया होता। हालांकि एनबीएफसी के जीएनपीए में आने वाले समय में गिरावट आने की संभावना है। वित्तीय कंपनियों के संग्रह प्रक्रियाओं में मजबूती लाने और आर्थिक गतिविधि के भी सुधरने से क्रिसिल को आगे चलकर जीएनपीए सुधरने की उम्मीद है।
क्रिसिल की रिपोर्ट कहती है कि आरबीआई के परिपत्र का असर अलग-अलग खंडों में अलग है और स्वर्ण ऋण खंड मजबूत बना बना हुआ है। वहीं वाहन वित्त खंड में इसका प्रभाव इतना अधिक था कि एनपीए पांच प्रतिशत अंक तक बढ़ गया। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में एनबीएफसी के जीएनपीए पर यह असर आरबीआई के नियमों में दो अहम बदलाव होने का नतीजा है। RBI के परिपत्र ने एनपीए की गणना महीने के अंत में करने के बजाय दैनिक आधार पर करना जरूरी कर दिया। इसके अलावा एनपीए के उन्नयन में सख्ती बढ़ाने से भी असर पड़ा है।
आरबीआई ने गत 15 फरवरी को NPA मानकों के निर्धारण के बारे में एक और परिपत्र जारी किया है। इसमें एनपीए मानक का क्रियान्वयन 30 सितंबर 2022 तक टालकर एनबीएफसी को अंतरिम समय देने का फैसला किया गया है। इसके लागू होने पर एनपीए की स्थिति सुधरने की उम्मीद है। क्रिसिल के वरिष्ठ निदेशक एवं उप मुख्य रेटिंग अधिकारी कृष्णन सीतारमण ने कहा कि हमें उम्मीद है कि एनबीएफसी का जीएनपीए 31 मार्च, 2022 तक 1.5-2 प्रतिशत तक कम हो सकता है।