Thursday, December 26, 2024
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Investing in SGB सावरेन गोल्ड बांड में निवेश के एसबीआई ने बताए फायदे

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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :

Investing in SGB : अगर आप सोने में निवेश करना चाहते हैं तो आपके लिए अच्छा मौका है। सरकार ने सावरेन गोल्ड बांड स्कीम 2021-22 की 8वीं किस्त 29 नवंबर को जारी कर दी है जोकि 3 दिसंबर तक सब्सक्रिप्शन के लिए खुली रहेगी।

सावरेन गोल्ड बांड के जरिए आप डिजिटल फार्म में गोल्ड में निवेश कर सकते हैं। इसके लिए आपको ज्वैलरी, बिस्किट या सिक्के खरीदने की जरूरत नहीं।

सावरेन गोल्ड बांड की 8वीं किस्त के लिए रिजर्व बैंक ने इश्यू प्राइस 4,791 प्रति ग्राम तय किया है। आनलाइन अप्लाई करने पर 50 रुपए प्रति गाम की छूट मिलेगी।

सावरेन गोल्ड बांड की खासियत यह है कि इसको आनलाइन और आफलाइन दोनों ही तरीकों से खरीदा जा सकता है। बांड बैंकों (स्माल फाइनेंस बैंकों और पेमेंट बैंकों को छोड़कर), स्टाक होल्डिंग कार्पोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड, नामित डाकघरों और मान्यता प्राप्त स्टाक एक्सचेंजों जैसे नेशनल स्टाक एक्सचेंज आफ इंडिया लिमिटेड और बाम्बे स्टाक एक्सचेंज लिमिटेड के जरिए बेचे जाएंगे।

एसबीआई अपने कस्टमर्स को ऐसा मौका दे रहा है जिससे वे सीधे आनलाइन निवेश कर सकते हैं। एसबीआई के उपभोक्ता onlinesbi.com के जरिए इन बांड में निवेश कर सकते हैं। एसबीआई ने ट्वीट करके सावरेन गोल्ड बांड के 6 फायदे बताए हैं।

2.5% सालाना ब्याज (Investing in SGB)

सावरेन गोल्ड बांड में निवेश पर गारंटीड रिटर्न मिलता है। निवेशकों को 2.5 फीसदी सालाना ब्याज मिलेगा। इसका भुगतान हर 6 महीने पर किया जाएगा।

मैच्योरिटी पर कैपिटल गेन टैक्स से राहत (Investing in SGB)

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सावरेन गोल्ड बांड की मैच्योरिटी 8 साल होती है। लाक इन पीरियड 5 साल है। अगर आपने सावरेन गोल्ड बांड को मैच्योरिटी तक बनाए रखा तो आपको निवेश पर कोई कैपिटल गेन टैक्स नहीं देना होगा।

निवेश में स्टोरेज का झंझट नहीं (Investing in SGB)

फिजिकल गोल्ड की तरह इसके सेफ स्टोरेज का झंझट नहीं रहता। सावरेन गोल्ड बांड में निवेश करना अधिक सुरक्षित है, जबकि फिजिकल गोल्ड के मामले में चोरी, उसकी प्योरिटी और सेफ लाकर की कमी जैसी दिक्कतें होती हैं।

लोन की सुविधा (Investing in SGB)

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सावरेन गोल्ड बांड का इस्तेमाल लोन के कोलेटरल के लिए किया जा सकता है। लोन टू वैल्यू अनुपात सामान्य गोल्ड लोन की तरह होता है। इसके लिए आरबीआई समय-समय पर नियम तय करता है।

जीएसटी से छूट (Investing in SGB)

गोल्ड क्वाइन और बार की तरह सावरेन गोल्ड बांड में जीएसटी नहीं देना होता। जब कभी आप डिजिटल गोल्ड खरीदते हैं, आपको फिजिकल गोल्ड की तरह 3 फीसदी जीएसटी देना होगा। सावरेन गोल्ड बांड पर कोई मेकिंग चार्ज देने की जरूरत नहीं पड़ती।

एक्सचेंजों पर बांड का कारोबार (Investing in SGB)

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रिजर्व बैंक की ओर से नोटिफाई तारीख को जारी होने के 15 दिन के भीतर स्टाक एक्सचेंजों पर बांड का कारोबार होगा। गौरतलब है कि गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के तहत सरकार ने सावरेन गोल्ड बांड स्कीम को सन् 2015 में लांच किया था। रिजर्व बैंक आफ इंडिया की ओर से सब्सक्रिप्शन के लिए इसे किस्तों में जारी किया जाता है।

जानकारों की राय (Investing in SGB)

जानकारों का कहना है कि सावरेन गोल्ड बांड सोने में निवेश करने का प्रभावी तरीका है। इसमें स्टोरेज लागत नहीं होती क्योंकि होल्डिंग फार्मेट डिजिटल है। निवेशक को 2.5% सालाना ब्याज मिलता है।

सरकार ने इस स्कीम के जरिए 31,000 करोड़ से अधिक की रकम जुटाई है। सावरेन गोल्ड बांड सरकार के लिए सभी सोने के निवेश को डिजिटल मोड में बदलने का बेहतर तरीका है। यह घाटे को कंट्रोल में रखने में मदद और करंसी को सपोर्ट करेगा। Investing in SGB

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