Russia Ukraine War Impact
- दुनिया के 29 फीसदी गेहूं का उत्पादन होता है रूस और यूक्रेन में
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
रूस और यूक्रेन के बीच लच रही जंग को 24 दिन बीत चुके हैं। लेकिन दोनों में से कोई भी देश पीछे हटने को तैयार नहीं है। रूसी सेना लगातार यूक्रेन में बमबारी कर रही है, वहीं यूक्रेन की सेना भी डटकर मुकाबला कर रही है। लेकिन दोनों सेनाओं के बीच जारी जंग का असर वैश्विक लेवल पर पड़ रहा है। विश्व में महंगाई बढ़ रही है, जिस कारण गरीबी दर में भी तेजी से इजाफा हो रहा है।
इसी के मद्देनजर अब अमेरिकी थिंक टैंक (American Think Tank) ‘सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट (सीजीडी)’ ने कहा है कि युद्ध के कारण खाद्य और उर्जा की कीमतों में जिस हिसाब से उछाल आ रहे हैं उससे दुनियाभर के करीब 4 करोड़ लोग अत्यधिक गरीबी की तरफ जा सकते हैं। सीजीडी के मुताबिक पूर्व सोवियत क्षेत्र कैसे कृषि व्यापार के लिए कितना अहम है।
रूस और यूक्रेन में दुनिया के 29 फीसदी गेहूं का उत्पादन होता है। वहीं रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी होती जा रही है। पिछले कुछ दिनों में संघर्ष के बढ़ने के साथ-साथ खाद्य पदार्थों से लेकर तेल की कीमतों तक में इजाफा देखने को मिला है।
अनाज उत्पादक अपने बाजार खुले रखें (Russia Ukraine War Impact)
बताया गया है कि दुनिया में उत्पाद किए जाने वाले कुल खाद का छठा हिस्सा रूस और बेलारूस से आता है। इसका असर व्यापक रूप से महसूस किया जाएगा लेकिन गरीब देशों पर इसका ज्यादा असर होगा। सीजीडी के विशेषज्ञों ने कहा है कि जी-20 समेत अनाज उत्पादकों को अपने बाजार खुले रखने चाहिए साथ ही उसपर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए। इस बीच सरकारों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को मानवीय जरूरतों के लिए तेजी से काम करना चाहिए।
रुपये में कमजोरी और क्रूड आयल का बढ़ रहा दाम (Russia Ukraine War Impact)
उल्लेखनीय है कि भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है। इसका भुगतान भी डॉलर में होता है। वहीं रुपया डालर के मुकाबले कमजोर हो रहा है। डॉलर के महंगा होने से रुपया ज्यादा खर्च होगा। इससे माल ढुलाई महंगी होगी और हर जरूरत की चीज पर महंगाई असर डालेगी। दूसरी तरफ क्रूड आयल के दाम भी बढ़ रहे हैं।
भारत तेल के अलावा अन्य जरूरी इलेक्ट्रिक सामान और मशीनरी के साथ मोबाइल-लैपटॉप समेत अन्य गैजेट्स के लिए दूसरे देशों से आयात करता है। युद्ध के हालातों में अगर रुपये में इसी तरह गिरावट जारी रही तो देश में आयात महंगा हो जाएगा। इस कारण इनकी कीमतें भी बढ़ जाएंगी।
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