India Crude Oil Import
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें काफी बढ़ गई है। इससे दुनियाभर में महंगाई बढ़ रही है। वहीं भारत अपनी जरूरत का 85 प्रतिशत तेल आयात करता है। ऐसे में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ना भारत के परेशानी बन गई है।
इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल में तेजी से भारत का इंपोर्ट बिल काफी बढ़ जाएगा और इससे वर्तमान घाटे में इजाफा होने का अनुमान है। इन सब को देखते हुए ईरान भारत की मदद करने का आगे आया है। भारत में ईरान के राजदूत अली चेगेनी ने ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद की पेशकश की है।
उन्होंने कहा कि उनका देश तेल और गैस के निर्यात के लिए रुपया-रियाल व्यापार फिर से शुरू करने के लिए तैयार है। अगर दोनों देश रुपया-रियाल व्यापार फिर से शुरू करते हैं, तो द्विपक्षीय व्यापार 30 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।
ईरान, भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता था, लेकिन पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा ईरान पर प्रतिबंध लगाने के बाद नई दिल्ली को आयात रोकना पड़ा था।
व्यापारिक रिश्ते दोबारा शुरू करना चाहता है ईरान
दरअसल, एमवीआईआरडीसी विश्व व्यापार केंद्र द्वारा यहां जारी एक बयान में चेगेनी के हवाले से कहा गया है कि ईरान तेल और गैस के निर्यात के लिए रुपया-रियाल व्यापार शुरू करके भारत की ऊर्जा सुरक्षा संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार है।
अली चेगेनी ने कहा कि वह भारत के साथ व्यापारिक रिश्ते को दोबारा स्थापित करना चाहते हैं। वे ईरान-पाकिस्तान-इंडिया गैस पाइपलाइन योजना को आगे बढ़ाना चाहते हैं जिससे ईरान भारत को नैचुरल गैस की सप्लाई कर सके. भारत ईरान से बड़े पैमाने पर यूरिया, पेट्रोकेमिकल्स, आर्गेनिक फ्रूट्स का आयात किया करता था। इसके बदले ईरान भारत से एग्री कमोडिटी, फार्मास्युटिकल्स, आयरन, स्टील और आटोमोबाइल, सीमेंट का आयात करता था।
उल्लेखनीय है कि नई दिल्ली और तेहरान के बीच व्यापार निपटान के लिए एक विनिमय तंत्र था, जिसमें भारतीय तेल आयातक एक स्थानीय ईरानी बैंक को रुपये में भुगतान कर रहे थे और इस धन का उपयोग करते हुए तेहरान, भारत से आयात कर रहा था।
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