Petrol And Diesel
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
वित्त वर्ष 2020-21 (अप्रैल 2020 से मार्च 2021) में केंद्र सरकार को पेट्रोल और डीजल ईंधन से 3.72 लाख करोड़ रुपए कमाए हैं। यह जानकारी केंद्र सरकार ने संसद में दी है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में इन आंकड़ों को जारी किया।
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में केंद्रीय उत्पाद शुल्क के तहत एकत्रित कोष से राज्य सरकारों को हस्तांतरित टैक्स की कुल राशि 19,972 करोड़ रुपए थी। राज्यों को कम हिस्सा मिलने का कारण यह है कि राज्य केवल मूल उत्पाद शुल्क से एक हिस्सा पाने के हकदार हैं।
यह उत्पाद शुल्क का हिस्सा पेट्रोल के लिए 1.40 रुपए और डीजल के लिए 1.80 रुपए प्रति लीटर है। प्रत्येक लीटर पेट्रोल पर मूल उत्पाद शुल्क के ऊपर 11 रुपये का विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, 13 रुपये का सड़क और बुनियादी ढांचा उपकर और कृषि बुनियादी ढांचे और विकास के लिए 2.50 रुपये उपकर लगाया जाता है।
वहीं 4 रुपये सड़क और बुनियादी ढांचा उपकर और कृषि बुनियादी ढांचे व विकास के लिए 4 रुपये का उपकर लगाया जाता है और डीजल पर सरकार की ओर से विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क 8 रुपये प्रति लीटर लगाया जाता है।
बता दें कि वित्त वर्ष 2017 में इंधन से कुल उत्पाद शुल्क संग्रह 2.22 लाख करोड़ रुपये, वित्त वर्ष 2018 में 2.25 लाख करोड़ रुपये, वित्त वर्ष 2019 में 2.13 लाख करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2020 में 1.78 लाख करोड़ रुपये था। साल 2019 में केंद्र द्वारा पेट्रोल पर 19.98 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 15.83 रुपये प्रति लीटर पर कर लगाया गया था।
राज्य लगाते हैं वैट(Petrol And Diesel)
जानकारी के लिए बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से लगाए गए उत्पाद शुल्क के ऊपर राज्य वैट लगाते हैं। अप्रैल 2016 और मार्च 2021 के बीच, राज्यों ने ईंधन पर वैट के माध्यम से 9.57 लाख करोड़ रुपये एकत्र किए, जबकि केंद्रीय उत्पाद शुल्क संग्रह 12.11 लाख करोड़ रुपये था।
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