RBI Monetary Policy Meeting
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नए वित्त वर्ष (2022-2023) की पहली मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक की, जिसमें ब्याज दरें पहले के बराबर ही रखी गई है। लेकिन RBI ने FY23 के जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को 7.8 फीसदी से घटाकर 7.2 फीसदी कर दिया है।
इसके अलावा आरबीआई ने महंगाई दर के भी 5.7 फीसदी तक रहने का अनुमान लगाया है। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने बताया कि रेपो रेट को 4 प्रतिशत और रिवर्स रेपो को 3.35 प्रतिशत पर जस का तस रखा है। यानि अब आपकी EMI पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। आरबीआई की ओर से लगातार 11वीं बार रेपो रेट स्थिर रखी गई है।
RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) मीटिंग ऐसे समय में हुई है जब रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण कच्चे तेल से लेकर मेटल प्राइस में उतार चढ़ाव देखा जा रहा है। भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के अधिकतर देशों में महंगाई बड़ी समस्या बनी हुई है।
बाजार से लिक्विडिटी करेंगे कम (RBI Monetary Policy Meeting)
मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग के बाद RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि दरों को लेकर अकोमोडेटिव रुख बरकरार है। सभी सदस्यों की सहमति से ब्याज दरों में बदलाव नहीं करने का फैसला लिया गया है। उन्होंने बाजार से लिक्विडिटी को धीरे-धीरे बाहर निकालने की भी बात कही।
शक्तिकांत दास ने कहा कि सप्लाई चेन को लेकर ग्लोबल मार्केट दबाव में है। फरवरी के अंत से कच्चे तेल की कीमतों में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव और जियो पॉलिटिकल टेंशन से अनिश्चितता को देखते हुए, ग्रोथ और महंगाई का अनुमान जोखिम से भरा है।
समझे रेपो और रिवर्स रेपो रेट को (RBI Monetary Policy Meeting)
रेपो रेट वह रेट होता है जिस पर रिजर्व बैंक से बैंकों को कर्ज मिलता है। वहीं रिवर्स रेपो रेट इसका उल्ट होता है। रिवर्स रेपो रेट वह दर होता है जिस दर पर बैंकों को रिजर्व बैंक के पास अपना पैसा रखने पर ब्याज मिलता है।
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