Sunday, October 20, 2024
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Financial technology क्या है डिजिटल बैंक और इसका मकसद

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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:

Financial technology केंद्र सरकार ने डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने और समावेशी विकास के लिए ‘डिजिटल बैंक’ की अवधारणा को पेश किया है। इसमें नीति आयोग ने डिजिटल बैंक के गठन का प्रस्ताव देते हुए आगामी 31 दिसम्बर तक सुझाव मांगे हैं। नीति आयोग ने गत बुधवार को डिजिटल बैंक बनाने का प्रस्ताव किया है जो पूर्ण रूप से तकनीकी कार्यकुशलता पर आधारित होगा।

इंटरनेट के सैद्धांतिक रूप होगा आधार Financial technology

यह डिजिटल बैंक अपनी सेवाएं देने के लिए इंटरनेट या ऐसे किसी चैनल पर सैद्धांतिक रूप से आधारित होगा, जिसकी कोई भौतिक उपस्थिति नहीं होगी। इस निमित्त नीति आयोग ने ‘डिजिटल बैंक्स: ए प्रपोजल फॉर लाइसेंसिंग एंड रेगुलेटरी रीजिम फॉर इंडिया’ नामक एक परिचर्चा पत्र (डिस्कशन पेपर) में इसका जिक्र किया है, जिसमें उसने आगामी 31 दिसंबर तक सभी लोगों से सुझाव आमंत्रित किये हैं।

विशेष तरीके से ऑपरेट होंगे डिजिटल बैंक Financial technology

बताया गया है कि ये बैंक वर्चुअल तरीके से आॅपरेट होंगे। ये पूरी तरह टेक्नोलॉजी आधारित होगा। आयोग ने अपने परिचर्चा पत्र में देश में डिजिटल बैंक की लाइसेंसिंग और नियामकीय व्यवस्था के रोडमैप की भी चर्चा की है। इसी में उसने डिजिटल बैंकों को बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, 1949 के तहत बैंक के तौर पर परिभाषित करने का इरादा जताया है। यह डिस्कशन पेपर नीति आयोग ने फाइनैंस, टेक्नोलॉजी, कानून के क्षेत्र के दिग्गजों और इंटर-मिनिस्टीरियल चर्चा करने के बाद तैयार किया है।

जमा और कर्ज जारी करेंगे डिजिटल बैंक Financial technology

ये डिजिटल बैंक डिपॉजिट्स (जमा) और कर्ज जारी करेंगे। इसके साथ ही वे वैसी सभी सेवाएं भी दे सकेंगे, जिनका जिक्र बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट में किया गया है। डिजिटल बैंक अपनी सेवाएं देने के लिए इंटरनेट या दूसरे संभव चैनल्स का सैद्धांतिक रूप से इस्तेमाल करेंगे। यानी कि ऐसे बैंकों की कोई भौतिक शाखा नहीं होगी। हालांकि, यह भी प्रस्तावित है कि डिजिटल बैंक मौजूदा कॉमर्शियल बैंकों के समान विवेकपूर्ण और तरलता मानदंडों के अधीन होंगे।

ग्लोबल लीडर बनाएगा यह प्रकल्प Financial technology 

नीति आयोग का मानना है कि देश का पब्लिक डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर, खास तौर से यूपीआई ने यह प्रदर्शित किया है कि किस प्रकार बाधाओं को हटाकर राह को सुगम बनाया जा सकता है। बता दें कि यूपीआई से किए गए ट्रांजैक्शन का मूल्य 4 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। वहीं, आधार सत्यापन का आंकड़ा 55 लाख करोड़ के आंकड़े को पार कर गया है। इससे साफ है कि भारत के पास डिजिटल बैंकों के लिए तकनीक पूरी तरह से उपलब्ध है।

वित्तीय समावेश ही है इसका है लक्ष्य Financial technology 

भले ही भारत ने प्रधानमंत्री जन-धन योजना के जरिये वित्तीय समावेश के लक्ष्य को हासिल करने में बहुत प्रगति की है। फिर भी कर्ज विस्तार में धीमी गति पॉलिसी बनाने वालों के लिये हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है। खासतौर से 6.30 करोड़ एमएसएमईज के लिये, जिनका देश के जीडीपी में 30 फीसदी योगदान है, मैन्युफैकचरिंग में 45 फीसदी योगदान है और निर्यात में 40 फीसदी हिस्सेदारी है। ये ऐसा सेक्टर है जो सबसे ज्यादा रोजगार सृजित करता है।

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