इंडिया न्यूज,नई दिल्ली।
कोरोना महामारी ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर गहरी चोट मारी है। इस चोट से उभरने में अर्थव्यवस्था को कई साल लग सकते हैं। भले ही महामारी की वहज से रूकी हुई अर्थव्यव्यस्था धीरे धीरे क्यों न लौट रही हो। भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने एक रिपोर्ट में बताया है कि कोरोना महामारी के दौरान (तीन साल) अर्थव्यव्यस्था को करीब 52 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, जिसकी भरपाई के लिए 2034-35 तक समय लग सकता है। यानी 12 साल में देश की अर्थव्यव्स्था सुधर (Indian Economy Revival) सकती है। आरबीआई ने यह अनुमान वित्त वर्ष 2021-22 के लिए करेंसी एंड फाइनेस पर तैयार रिपोर्ट में ‘Scars of the Pandemic’ (कोरोना के निशान) चैप्टर में लगाया है।
कोरोना ने लहरों में प्रभावित की रिकवरी
रिपोर्ट के अनुसार, देश में कोरोना महामारी के कई लहरों में रिकवरी पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में तेज गिरावट के बाद इकॉनमी फिर संभल गई, लेकिन वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में दूसरी लहर ने इसे फिर तगड़ा झटका दिया। इसी तरह जनवरी 2022 में तीसरी लहर के चलते भी रिकवरी प्रक्रिया की बड़ा नुकसान पहुंचाया था।
वैश्विक हालात ने भी डाले अर्थव्यवस्था पर असर
इतना ही नहीं आरबीआई की इस रिपोर्ट में रूस औ यूक्रेन के युद्ध को भी अर्थव्यवस्था में रूकावट का कारण मना है। आरबीआई का कहना है कि इन दोनों देशों के बीच लड़ाई के चलते वैश्विक स्तर पर सप्लाई चेन पर असर पड़ा और कमोडिटी के भाव बढ़ने लगे। इससे इकॉनमी पर इसका निगेटिव इफेक्ट पड़ा है।
वित्त वर्षों में इस प्रकार रही ग्रोथ
रिपोर्ट में बताया कि वित्त वर्ष 20212-13- से 2019-20 तक इकॉनमी 6.6 फीसदी सीएजीआर (कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट) से बढ़ी थी और अगर इसमें स्लोडाउन इयर्स तो निकाल दें तो वित्त वर्ष 2012-13 से वित्त वर्ष 2016-17 के बीच 7.1 फीसदी सीएजीआर से बढ़ी। वित्त वर्ष 2020-21 में ग्रोथ रेट (-) 6.6 फीसदी रही, वित्त वर्ष 2021-22 में 8.9 फीसदी और अब वित्त वर्ष 2022-23 में 7.2 फीसदी रही है।
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