Wednesday, October 30, 2024
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बंद हो सकती दो महीने बाद केंद्र की मुफ्त राशन योजना, जानें इसके पीछे की असली वजह

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PMGKAY Nation Scheme

इंडिया न्यूज,नई दिल्ली। अभी तक जो लोग केंद्र सरकार की मुफ्त राशन योजना का लाभ ले रहे,शायद अब उनको अगले दो महीने बाद इस योजना का लाभ न मिले। अत्यधिक व्य्य और देश में कोरोना की स्थिति सुधार के बाद लोगों के रोजगार में हुई वृद्धि के चलते केंद्र सरकार शायद प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) को इस साल के सितंबर माह के बाद बंद कर दे। दरअसल, कोरोना महामारी के दारौन लोगों को रोजगार छिनने व भूखमरी से बचाने की उद्देश्य से मार्च, 2020 में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) शुरू किया था। इस योजना के तहत गरीब लाभार्थी राशन कार्ड धारकों को मुफ्त में राशन देश भर मुहैया कराया जा रहा है। गरीब परिवार इस योजना का लाभ लेते रहें, इसको केंद्र ने कई बार बढ़ाया भी है। इस योजना की आखिरी तिथि सितंबर, 2022 है और ऐसे में व्यय विभाग PMGKAY को आगे नहीं बढ़ाने का सरकार को सुझाव दिया है।

बंद होने की वजह 

वित्त मंत्रालय के अधीन काम करने वाले व्यय विभाग ने केंद्र सकार को सुझाव दिया है कि वह सितंबर में समाप्त हो रही PMGKAY को आगे न बढ़ाए। अगर सरकार इस योजना को आगे और बढ़ाती है तो यह देश की आर्थिक स्थिति के लिए सही नहीं होगा,क्योंकि PMGKAY से वित्तीय बोझ बड़ा रहा है। ऊपर से 21 मई को केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल डीजल पर उत्पाद शुल्क कम करने से 1 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ राजस्व पर पड़ रहा है। अगर इस योजना को आगे और बढ़ाया गया और अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा।

अगले बढ़ने पर फूड सब्सिडी का बिल 80,000 करोड़ रुपये जाने का अनुमा

भले ही PMGKAY के तहत 80 करोड़ लोग मुफ्त में राशन का लाभ ले रहे हों, लेकिन इसका सबसे ज्यादा भार सरकार पर पड़ रहा है। पहले PMGKAY मार्च, 2022 में खत्म हो रही थी लेकिन सरकार ने इस बढ़ाकर सितंबर, 2022 कर दिया है। इस योजना के लिए सरकार ने 2.07 लाख करोड़ रुपये की फूड सब्सिडी आवंटन की है। अब इस पर व्यय विभाग का कहना है कि सिंतबर के बाद इस योजना को छह महीने के लिए  और बढ़ाया गया तो फूड सब्सिडी का बिल 80,000 करोड़ रुपये और बढ़कर करीब 3.7 लाख करोड़ रुपये पहुंचने का अनुमान, जो वित्तीय स्थिति के लिए सही नहीं है।

राजकोषीय घाटा

आपको बता दें कि वित्त वर्ष 2022-23 में देश का राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। वहीं, राज्यों का राजकोषीय घाटा 3.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद की गई है,जोकि देश का राजकोषीय घाटा मानकों में बहुत अधिक है।

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