Monday, December 23, 2024
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Pawan Hans Will Soon Be Privatized सरकारी कंपनी पवन हंस का जल्द होगा निजीकरण, अंतिम चरण में हैं बोलियां

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Pawan Hans Will Soon Be Privatized

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
सरकारी कंपनी पवन हंस लिमिटेड का निजीकरण जल्द ही होगा। इसके विनिवेश के लिए वित्तीय बोलियां प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है। यह जानकारी वित्त मंत्रालय के निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) में सचिव तुहीन कांत पांडे दी।

उन्होंने बताया कि पवन हंस के विनिवेश के लिए वित्तीय बोलियां लेनदेन सलाहकार को प्राप्त हो गई हैं। प्रक्रिया अब अंतिम चरण में पहुंच गई है। सरकार पवन हंस में अपनी 51 फीसदी की समूची हिस्सेदारी बेच रही है। बाकी 49 फीसदी हिस्सेदारी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) के पास है और वह भी अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचना चाहती है।

बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल अपने बजट भाषण में कहा था कि ‘पवन हंस’ का निजीकरण 2021-22 में पूरा कर लिया जाएगा। लेकिन अब चालू वित्त वर्ष में सिर्फ 3 महीने का वक्त बचा है। ऐसे में सरकार अब जोर-शोर से जुटी है कि जल्द से जल्द विनिवेश के लक्ष्य को पूरा किया जाए।

सार्वजनिक क्षेत्र की हेलिकॉप्टर आॅपरेटर कंपनी पवन हंस के निजीकरण के लिए सरकार ने Expressions डा Interests-EOI (रुचि पत्र) आमंत्रित किए थे, अब दीपम का कहना है कि पवन हंस को खरीदने में कई कंपनियों ने रुचि दिखाई है।

1985 में हुई थी स्थापना

पवन हंस की स्थापना 1985 में की गई थी और इसके पास 40 से अधिक हेलिकॉप्टर का बेड़ा है, इसमें 900 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं जिनमें से आधे से भी कम कर्मचारी स्थायी हैं। यह कंपनी ओएनजीसी की अन्वेषण गतिविधियों के लिए और भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए हेलिकॉप्टर सेवाएं प्रदान करती है।

2018 में आमंत्रित की थी बोलियां

2018 में, सरकार ने पवन हंस में अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए बोलियां आमंत्रित की थीं। हालांकि, ओएनजीसी ने सरकार के साथ कंपनी में अपनी 49 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का फैसला करने के बाद प्रक्रिया वापस ले ली थी। 2019 में, कंपनी को बेचने का दूसरा प्रयास किया गया, लेकिन यह निवेशकों की प्रतिक्रिया प्राप्त करने में विफल रही।

हालांकि, इस साल की शुरूआत में फरवरी में, कंपनी को अपनी निजीकरण प्रक्रिया के लिए कई प्रारंभिक बोलियां मिलीं, लेकिन भारत में कोविड -19 की दूसरी लहर के फैलने के कारण विनिवेश प्रक्रिया रुकी हुई थी।

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