Friday, November 15, 2024
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New Rules Of IPO आईपीओ से संबंधित नियमों में सेबी ने किए बदलाव, जानिए आप पर क्या होगा असर

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New Rules Of IPO

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
साल 2021 IPO के लिहाज से बहुत ही अहम रहा है। इस साल बहुत से कंपनियों के IPO  लॉन्च हुए और ज्यादातर में निवेशकों को काफी मुनाफा हुआ है। लेकिन अब भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने आईपीओ से संबंधित नियमों में कुछ बदलाव किए हैं।

अब निदेशक मंडल ने IPO से प्राप्त राशि के इस्तेमाल से जुड़े नियमों को सख्त कड़ा कर दिया है। इसके तहत, आईपीओ लाने वाली कंपनियों को बाजार से जुटाई गई राशि के जरिए किए जाने वाले अधिग्रहण का खुलासा करना होगा। सेबी ने आईपीओ से प्राप्त राशि का इस्तेमाल भविष्य में किसी अधिग्रहण लक्ष्य के लिए करने की सीमा तय की है।

ये निर्णय SEBI के निदेशक मंडल की बैठक में लिए गए हैं। बैठक में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई), वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ), म्युचुअल फंड और समाधान प्रक्रिया से जुड़े नियमों में भी बदलाव का फैसला किया गया।

एंकर निवेशकों के लिए 90 दिन का होगा लाक इन पीरियड

निदेशक मंडल की बैठक के बाद SEBI ने कहा कि शेयरहोल्डर्स द्वारा आफर फॉर सेल के तहत शेयरों की बिक्री के लिए कुछ शर्तें लगाई गई हैं। अब एंकर निवेशकों के लिए लॉक-इन की अवधि बढ़ाकर 90 दिन कर दी गई है। सेबी ने इकाइयों द्वारा अंतिम समाधान आवेदन दाखिल करने की समयसीमा को भी तर्कसंगत बनाते हुए 60 दिन कर दिया है।

यह सीमा कारण बताओ नोटिस मिलने की तारीख से लागू होगी। इसके अलावा बाजार नियामक ने पूंजी जारी करने और खुलासा अनिवार्यताओं से जुड़े नियमनों में बदलाव को भी मंजूरी दी। इसके अलावा सेबी ने नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NII) के लिए आवंटन के तौर-तरीकों में भी बदलाव का फैसला किया है।

निगरानी एजेंसी की रिपोर्ट करेगी फंड के इस्तेमाल का खुलासा

सेबी ने कहा कि कई टेक्नोलॉजी कंपनियां ऐसे उद्देश्यों के लिए फंड जुटाने का प्रस्ताव करती हैं, जो इस तरह के विस्तार की पहल से संबंधित होता है। वहीं सामान्य कॉपोर्रेट उद्देश्यों के लिए जुटाई गई राशि को निगरानी के तहत लाया जाएगा और इसके इस्तेमाल का खुलासा निगरानी एजेंसी की रिपोर्ट में किया जाएगा। इस रिपोर्ट को वार्षिक के बजाय अब तिमाही आधार पर विचार के लिए आॅडिट कमेटी के सामने रखा जाएगा.

20 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी वाले आधे शेयर्स बेच सकेंगे

SEBI ने आफर फॉर सेल के जरिए कंपनियों के शेयरधारकों के शेयर बेचने पर भी सीमा निर्धारित की है। इसके तहत जिन शेयरहोल्डर्स की किसी कंपनी में हिस्सेदारी 20 फीसदी से ज्यादा है, वे आॅफर फॉर सेल के जरिए केवल अपने आधे शेयर्स ही बेच पायेंगे। जिन निवेशकों की 20 फीसदी से कम हिस्सेदारी है वे आॅफर फॉर सेल में कुल होल्डिंग के 10 फीसदी शेयर ही आईपीओ में बेच सकेंगे।

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