Supreme Court Decision
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
देश में अब बीमा कंपनियों द्वारा व्यक्ति की मौजूदा बीमारी का हवाला देकर क्लेम को रिजेक्ट नहीं कर पाएंगी। सुप्रीम कोर्ट ने इंश्योरेंस क्लेम के एक मामले में कहा है कि कोई बीमा कंपनी पॉलिसी जारी होने के बाद प्रस्ताव फॉर्म में बीमाधारक द्वारा बताई गई मौजूदा मेडिकल कंडीशन का हवाला देकर किसी दावे को खारिज नहीं कर सकती है।
बीमा लेने वाले सही जानकारी दें
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने कहा है कि बीमा लेने वाले व्यक्ति का यह कर्तव्य है कि वह अपनी जानकारी के मुताबिक सभी तथ्यों को बीमा कंपनी को बताए। हालांकि बीमा लेने वाला व्यक्ति प्रपोजल फॉर्म में केवल वही बात सकता है, जो उसे पता हो।
पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि एक बार बीमाधारक की मेडिकल कंडीशन का आकलन करने के बाद पॉलिसी जारी कर दी जाए तो बीमाकर्ता मौजूदा चिकित्सा स्थिति का हवाला देते हुए दावे को अस्वीकार नहीं कर सकता है, जिसे बीमाधारक ने प्रपोजल फॉर्म में बताया था।
किस मामले में सुनाया फैसला (Supreme Court Decision)
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में मनमोहन नंदा द्वारा राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के एक फैसले के खिलाफ दायर की गई अपील पर सुनवाई की जा रही थी। उनका इलाज अमेरिका में हुआ था। इस दौरान स्वास्थ्य खर्च के लिए क्लेम करने के संबंध में उनके आवेदन को कंपनी ने खारिज कर दिया था। अपील करने वाले ने बीमा कर्ता से इलाज पर हुए खर्च का पैसा मांगे जिसे यह कहते हुए खारिज कर दिया गया था कि अपील कर्ता को हाइपरलिपिडेमिया और डायबिटीज थी जिसका खुलासा बीमा पॉलिसी खरीदते समय नहीं किया गया था।
इस मामले में कोर्ट ने कहा कि यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी द्वारा दावे को खारिज करना सरासर गलत है। मेडिकल पॉलिसी खरीदने का उद्देश्य अचानक बीमार पड़ने या बीमारी के संबंध में क्षतिपूर्ति की मांग करना है, जो गलत नहीं होता है और जो देश या विदेश कहीं भी हो सकता है। इसलिए अपील कर्ता को खर्च की क्षति पूर्ति करना बीमा कर्ता का कर्तव्य बनता है।
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