Electoral Bond
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले सरकार ने SBI को इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने की मंजूरी दे दी है। ये इलेक्टोरल बॉन्ड को 1 जनवरी से 10 जनवरी तक जारी किए जाएगा। इसमें राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले नकद चंदे के विकल्प के रूप में चुनावी बॉन्ड की व्यवस्था की गयी है।
हालांकि, विपक्षी दल ऐसे बॉन्ड्स के माध्यम से चंदे में कथित पारदर्शिता की कमी को लेकर चिंता जताते रहे हैं। एसबीआई अपने 29 अधिकृत ब्रांचों के जरिए इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करेगा। एसबीआई की ये 29 विशिष्ट शाखाएं लखनऊ, शिमला, देहरादून, कोलकाता, गुवाहाटी, चेन्नई, तिरुवनंतपुरम, पटना, नई दिल्ली, चंडीगढ़, श्रीनगर, गांधीनगर, भोपाल, रायपुर और मुंबई जैसे शहरों में हैं।
सरकार ने कहा है कि Electoral Bond जारी होने की तारीख से 5 कैलेंडर दिनों तक ही मान्य रहेंगे। इसके अलावा किसी भी राजनीतिक दल को कोई भी भुगतान नहीं किया जाएगा। इस इलेक्टोरल बॉन्ड को भारत सरकार ने 2 जनवरी 2018 की तारीख वाले गैजेट नोटिफिकेशन के जरिए नोटिफाई किया है। योजना के तहत वह व्यक्ति इलेक्टोरल बॉन्ड्स को खरीद सकता है, जो भारतीय नागरिक है या भारत में स्थापित कंपनी है। इलेक्टोरल बॉन्ड को अकेले या संयुक्त तौर पर खरीद सकते हैं।
क्या होते हैं Electoral Bond?
इलेक्टोरल बॉन्ड एक ऐसा बॉन्ड होता है, जिसके ऊपर एक करेंसी नोट की तरह उसका मूल्य लिखा होता है। इसका इस्तेमाल राजनीतिक दलों को व्यक्तियों, संस्थाओं और संगठनों की तरफ से चंदा देने के लिए किया जा सकता है।
Electoral Bond के 1000, 10,000 और 1 लाख रुपये के मल्टीपल में खरीदा जा सकता है। इन बॉन्ड को चंदा देने वाले लोग अपनी पसंद की पार्टी को बॉन्ड खरीदने के 15 दिन के अंदर ही देना होगा। चंदा देने वाले का नाम और डिटेल्स केवल बैंक के पास रहेगी, बॉन्ड पर उसका नाम नहीं होगा। वहीं बैंकइन बॉन्ड पर कोई ब्याज भी नहीं देता है।
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