Children Vaccination
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
देश में कल 3 जनवरी से 15-18 साल तक के बच्चों के लिए वैक्सीनेशन अभियान शुरू हो रहा है। इसके लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया 1 जनवरी से शुरू हो चुकी है। वहीं अब 2 साल से ऊपर के बच्चों के लिए भी जल्द ही वैक्सीन आने की उम्मीद जग गई है। कोवैक्सीन के 2 से 18 साल के बच्चों पर किए गए दूसरे और तीसरे चरण के अध्ययन के नतीजे सकारात्मक रहे हैं।
बच्चों के लिए वैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक की माने तो यह पूरी तरह सेफ है। साथ ही यह बड़ों के मुकाबले बच्चों को ज्यादा सुरक्षा प्रदान करती है।
वहीं Covaxin बनाने वाली भारत बायोटेक ने 2 से 18 साल के बच्चों के बच्चों पर कोवैक्सीन (बीबीवी 152) के फेज 2 और फेज-3 के क्लिनिकल ट्रायल के रिजल्ट जारी किए हैं। कोवैक्सीन के फेज-2, 3 ट्रायल के डेटा जारी होने से दो साल तक की उम्र के बच्चों के कोरोना वैक्सीनेशन शुरू होने की उम्मीद जगी है।
क्या है बच्चों के corona vaccine trial में?
भारत बायोटेक ने हाल ही में 2 से 18 साल के बच्चों पर कोवैक्सीन (बीबीवी 152) के क्लिनिकल ट्रायल के फेज-2 और फेज-3 का डेटा जारी किया। कंपनी ने क्लिनिकल रिजल्ट जारी करते हुए बताया कि उसकी वैक्सीन (कोवैक्सीन) को फेज 2/3 क्लिनिकल ट्रायल में 2 से 18 साल की उम्र के बच्चों के लिए ”सेफ, सहने योग्य और इम्युनोजेनिक पाया गया है।”
क्या वैक्सीन ट्रायल में दिखा गंभीर साइड इफेक्ट? How safe was the vaccine in the trial?
- भारत बायोटेक कंपनी का कहना है कि उसने जून और सितंबर 2021 के दौरान 2 से 18 साल की उम्र के बच्चों पर कोवैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल किए, जिनमें इस वैक्सीन को बच्चों के लिए ‘बेहद सुरक्षित’ पाया गया।
- इस ट्रायल में 374 बच्चों में बहुत ही हल्के या कम गंभीर लक्षण दिखे, जिनमें से 78.6 फीसदी एक दिन में ठीक हो गए। इसमें इंजेक्शन लगने की जगह पर दर्द होना सबसे कॉमन एडवर्स-इफेक्ट (प्रतिकूल असर) में से एक रहा। इस स्टडी में पाया गया कि बच्चों में कोवैक्सीन के इस्तेमाल से कोई गंभीर साइड इफेक्ट नजर नहीं आया।
- इस डेटा को स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गनाइजेशन को अक्टूबर 2021 को सौंपा गया था। हाल ही में 12से18 साल के बच्चों के लिए इमरजेंसी यूज के लिए भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को ड्रग कंट्रोलर जनरल आॅफ इंडिया की मंजूरी मिली थी।
ट्रायल में कितनी सेफ रही कोवैक्सीन ( How safe was the vaccine in the trial )
भारत बायोटेक कंपनी ने कहा कि 2-18 साल की उम्र के बच्चों के ट्रायल के रिजल्ट दिखाते हैं कि कोवैक्सीन छोटी उम्र के बच्चों पर भी इस्तेमाल के लिए पूरी तरह सुरक्षित है। भारत बायोटेक की ओर से जारी बयान में कंपनी के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर कृष्णा एल्ला ने कहा, बच्चों पर कोवैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल का डेटा बहुत ही उत्साहनजक है।
बच्चों के लिए वैक्सीन की सुरक्षा महत्वपूर्ण है और हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि कोवैक्सिन ने अब बच्चों में सेफ्टी और प्रतिरक्षण क्षमता (इम्युनोजेनिसिटी) के लिए डेटा साबित कर दिया है। उन्होंने कहा, हमने अब वयस्कों और बच्चों के लिए एक सेफ और प्रभावशाली कोविड -19 वैक्सीन विकसित करने के अपने लक्ष्य को हासिल कर लिया है।
कैसे हुआ कोवैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल (Covaxin Safe For 2-18 Age Group)
भारत बायोटेक ने बताया है कि 2 से 18 साल के 525 बच्चों पर कोवैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल किया गया था। ट्रायल में शामिल बच्चों को तीन ग्रुप: ग्रुप 1 में 12-18 साल (175 बच्चे), ग्रुप-2 में 6-12 साल (175 बच्चे), और ग्रुप-3 में 2-6 साल (175 बच्चे) में बांटा गया था।
ट्रायल में संबंधित एज ग्रुप के बच्चों को कोवैक्सिन की 0.5 एमएल की दो डोज का टीका लगाया गया था, जो वयस्कों में इस्तेमाल करने वाले डोज के समान था।
बच्चों में बनीं ज्यादा एंटीबॉडीज (Covaxin Safe For 2-18 Age Group)
कोवैक्सीन के बच्चों पर ट्रायल में एक खास बात सामने आई कि इससे बच्चों में वयस्कों की तुलना में ज्यादा एंटीबॉडीज बनीं। कोवैक्सीन के 2-18 साल के उम्र के बच्चों पर क्लिनिकल ट्रायल में बच्चों में वयस्कों की तुलना में औसतन 1.7 गुना ज्यादा एंटीबॉडीज बनीं। साथ ही बच्चों पर कोवैक्सीन के ट्रायल के दौरान एंटीबॉडीज बनने की दर 95-98 फीसदी रही। इसका मतलब है कि बच्चों में वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ वयस्कों की तुलना में ज्यादा सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम हो सकती है।
नेजल वैक्सीन लाने की तैयारी में भारत बायोटेक
2022 में भारत बायोटेक नेजल वैक्सीन लाने की तैयारी में है। नेजल वैक्सीन को भारत बायोटेक और वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल आफ मेडिसिन मिलकर बना रहे हैं। भारत बायोटेक का लक्ष्य 2022 में नेजल वैक्सीन की 100 करोड़ डोज बनाने का है। नेजल वैक्सीन सिंगल डोज होगी, जिसे इंजेक्शन के बजाय नाक के जरिए दिया जाएगा, इसलिए इसे इंट्रानेजल वैक्सीन भी कहा जाता है।
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