LIC’s Assets
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
देश की सबसे बडी जीवन बीमा कंपनी एलआईसी की संपत्ति 463 अरब डॉलर आंकी गई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक सकल लिखित प्रीमियम के मामले में LIC वैश्विक स्तर पर 5वें स्थान पर है जबकि कुल संपत्ति के मामले में LIC 10वें स्थान पर है। इस हिसाब से एलआईसी की वैल्यू कई देशों की जीडीपी से भी ज्यादा है। दरअसल इस साल जल्द ही एलआईसी का आईपीओ लान्च किया जाएगा। इसी के मद्देनजर एलआईसी की संपत्ति का आंकलन किया जा रहा है।
सरकार के लिए तिजोरी की तरह है LIC
lic ipo details: सरकार जब भी मुश्किल में फंसती है तो एलआईसी का उपयोग किसी साहूकार की तिजोरी की तरह होता है। 2015 में तेल एंव प्राकृतिक गैस नियम (ओएनजीसी) के इनिशियल पब्लिक आॅफर (आईपीओ) के समय एलआईसी ने करीब 10 हजार करोड़ रुपए लगाए थे। 2019 में कर्ज से जूझ रहे भारतीय औधोगिक विकास बैंक (आईडीबीआई) को उबारने की बात आई तो एलआईसी ने एक बार फिर अपनी झोली खोल दी।
एलआईसी से 23 लाख करोड़ रुपये ले चुकी हैं सरकारें
2019 में जारी भारतीय रिजर्व बैंक डेटा मुताबिक शुरूआत से लेकर अब तक LIC ने सरकारी क्षेत्र में 22.6 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया है। इसमें से 10.7 लाख करोड़ रुपए तो 2014-15 से 2018-19 के बीच ही लगाए गए हैं। इस समय ये 100 फीसदी सरकारी कंपनी है, लेकिन जनवरी से मार्च 2022 के बीच सरकार कंपनी की 10 फीसदी हिस्सेदारी शेयर बाजार में बेचने जा रही है। सरकार को एलआईसी के आईपीओ से 90 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा रकम जुटाने की उम्मीद है।
1818 में भारत में पहली बार शुरू हुई थी बीमा कंपनी
आपको जानकर हैरानी होगी कि 1818 में पहली बार भारत की धरती पर कोई बीमा कंपनी शुरू हुई थी, जिसका नाम ओरिएंटल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी था। ये सिर्फ अंग्रेजों का जीवन बीमा करती थी। बाबू मुत्तीलाल सील जैसे कुछ लोगों के प्रयासों से भारतीयों का भी बीमा होने लगा, लेकिन उनके लिए रेट अलग थे। 1870 में पहली भारतीय लाइफ इंश्योरेंस कंपनी शुरू हुई तो बराबरी का हक मिला।
245 कंपनियों को मिलाकर 1956 में बनाई गई LIC
1956 तक भारत में 154 भारतीय इंश्योरेंस कंपनियां, 16 विदेशी कंपनियां और 75 प्रोविडेंट कंपनियां काम करती थीं। एक सितंबर 1956 को सरकार ने इन सभी 245 कंपनियों का राष्ट्रीयकरण करके भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की शुरूआत की। उस समय की सरकार ने एलआईसी को पांच करोड़ रुपए जारी किए थे। 1956 में एलआईसी के 5 जोनल आफिस, 33 डिविजनल आॅफिस, 212 ब्रांच आॅफिस और एक कॉपोर्रेट आॅफिस था। कंपनी ने एक साल में ही 200 करोड़ का बिजनेस किया। इस भरोसे के पीछे एक बड़ी वजह सरकार की गारंटी थी।
1990 के उदारीकरण में रहा दबदबा
1990 तक भारत में ज्यादातर कंपनियों पर सरकार का एकाधिकार था। 1991 के बाद धीरे-धीरे सरकारी कंपनियों को निजी हाथों में बेच दिया गया लेकिन सरकार ने एलआईसी को नहीं छुआ। कई प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनियां आने के बावजूद भारत के दो तिहाई बीमा बाजार पर एलआईसी का कब्जा है। ये करीब 36 लाख करोड़ की संपत्ति का मैनेजमेंट करती है। एलआईसी ने लोगों के बीच भरोसा बनाया है कि यहां लगाया उनका पैसा कभी डूबेगा नहीं।
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