SEBI New Rule
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
म्यूचुअल फंड निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए बाजार नियामक सेबी ने नए नियम बनाए हैं। इस नए नियम के तहत म्यूचुअल फंड के न्यासियों के लिए किसी योजना को बंद करने का निर्णय करते समय यूनिटधारकों की सहमति लेना जरूरी होगा। यानि कि अब म्यूचुअल फंड कंपनियां किसी भी योजना को अपनी मर्जी से बंद नहीं कर सकती हैं।
इन्हे वैसे समय यूनिटधारकों से सहमति लेनने की जरूरत होगी जब न्यासी बहुमत के आधार पर किसी योजना को बंद करने का निर्णय करते हैं। सेबी ने यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश पर लिया है, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि यूनिटधारकों की मंजूरी के बिना म्यूचुअल फंड (mutual fund) कंपनियां किसी भी योजना को बंद नहीं कर सकते हैं।
45 दिनों के भीतर मतदान का परिणाम जरूरी
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने एक अधिसूचना जारी कर कहा है कि यूनिटधारकों को प्रति यूनिट एक वोट के आधार पर उपस्थित और मतदान करने वाले यूनिटधारकों के साधारण बहुमत से सहमति प्राप्त करनी होगी।
योजना बंद करने के लिए नोटिस के प्रकाशन के 45 दिनों के भीतर मतदान का परिणाम प्रकाशित करना होगा। यदि Mutual Fund ट्रस्टी यूनिटधारकों सहमति प्राप्त करने में विफल रहते हैं, संबंधित योजना मतदान के परिणाम के प्रकाशन के बाद दूसरे कारोबारी दिन से फिर से शुरू हो जाएगी और उसमें लेन-देन गतिविधियों चालू रहेंगे।
SEBI ने कहा कि यूनिटधारकों के निर्णय के एक दिन के भीतर नियामक को नोटिस देंगे। नोटिस में उन सभी का ब्योरा देना होगा जिस वजह से योजना को बंद करने का निर्णय किया गया। साथ ही अखिल भारतीय स्तर के दो दैनिक अखबारों और उस जगह पर क्षेत्रीय भाषा में छपने वाले अखबार में इसकी जानकारी देनी होगी, जहां म्यूचुअल फंड का गठन हुआ।
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