BIMSTEC Summit 2022
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
बिम्सटेक स्थापना का आज 25वां वर्ष है। यह बंगाल की खाड़ी में बसे 7 देशों का समूह है। इस दौरान पीएम मोदी ने नरेंद्र मोदी ने आज बिम्सटेक समिट 2022 को वर्चुअली संबोधित किया। प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने कहा कि सचिवालय की क्षमता बढ़ेगी तभी बे आफ बंगाल इनिशिएटिव फार मल्टी सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनोमिक कोआपरेशन (बिम्सटेक) हमारी अपेक्षाएं पूरी करेगा। उन्होंने कहा कि मेरा सुझाव है कि सेक्रेटरी जनरल इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक रोडमैप बनाएं।
पीएम ने कहा कि बिम्सटेक की स्थापना का यह 25वें वर्ष के सम्मेलन को मैं विशेष रूप से बहुत अहम मानता हूं। इस लैंडमार्क सम्मेलन के परिणाम बिम्सटेक के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय लिखेंगे। उन्होंने कहा कि आज के चुनौतीपूर्ण वैश्विक परिप्रेक्ष्य से हमारा क्षेत्र अछूता नहीं रहा है। हम अब भी कोरोना के दुष्प्रभावों को झेल रहे हैं।
पिछले कुछ सप्ताह में यूरोप के डेवलपमेंट से अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के स्थायित्व पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है। इस संदर्भ में बिम्सटेक क्षेत्रीय सहयोग को और सक्रिय बनाना महत्वपूर्ण हो गया है। आज हमारे बिम्सटेक चार्टर को अपनाया जा रहा है।
जानना जरूरी है कि बिम्सटेक में भारत के अलावा बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड शामिल हैं। बिम्सटेक का मुख्यालय बांग्लादेश के ढाका में है। 6 जून 1997 को स्थापित इस समूह में पाकिस्तान शामिल नहीं है। श्रीलंका में जारी संकट के बीच इस बार का आयोजन बहुत अहम है।
सचिवालय के लिए भारत देगा एक मिलियन डॉलर
पीएम मोदी (PM Modi) ने अपने संबोधन के दौरान वित्ती सहायता देने का भी ऐलान किया। उन्होंने कहा कि यह महत्त्वपूर्ण काम समय और अपेक्षा के अनुरूप पूरा हो, इसके लिए भारत सचिवालय के परिचालन बजट को बढ़ाने के लिए एक मिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता देगा।
हमारे आपसी व्यापार को बढ़ाने के लिए बिम्सटेक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के प्रस्ताव पर शीघ्र प्रगति करना आवश्यक है। उन्होंने कहा, हमें अपने देशों के उद्यमियों और स्टार्टअप के बीच आदान-प्रदान भी बढ़ाना होगा। इसी के साथ हमें ट्रेड फैसिलिटेशन के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय मानदंड को अपनाने का भी प्रयास करना चाहिए।
आतंकवाद की अनदेखी नहीं कर सकते, कानूनी ढांचा जरूरी : जयशंकर
बता दें कि बिम्सटेक की तैयारियों के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक 28 मार्च को हुई थी। इसके बाद कल विदेश मंत्रियों की बैठक हुई थी, जिसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सातों सदस्य देशों से आतंकवाद और हिंसक कट्टरता के खिलाफ सामूहिक नीति बनाने का आह्वान किया।
एस जयशंकर ने कल बैठक में कहा , हम हिंसक कट्टरता और आतंकवाद की चुनौतियों अनदेखी नहीं कर सकते। इसी तरह से साइबर हमले व मादक पदार्थों का कारोबार भी बड़ी चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा, हमारे बीच एक कानूनी ढांचा होना चाहिए ताकि कानूनी जांच एजेंसियों के बीच इस तरह की चुनौतियों के खिलाफ ज्यादा करीबी व प्रभावशाली तालमेल बन सके।
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