इंडिया न्यूज, नई दिल्ली।
Biogas Industry इंडियन बायोगैस एसोसिएशन (आईबीए) ने कहा कि कचरा जमा होने वाली जगहों पर आने वाले कचरे को अगले तीन सालों में करीब 50 प्रतिशत करने में बायोगैस उद्योग मदद में काफी सहायक हो सकता है। देश में प्रति व्यक्ति 0.4 किलोग्राम कचरे का उत्पादन करता है, जबकि इस कचरे का करीब आधा हिस्सा ऑर्गेनिक होता है। इसको बायोगैस संयंत्रों में भेजा जा सकता है.
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पैदा होता है देश में 2.5 लाख टन कचरा Biogas Industry
गुरुवार को आईबीए ने बताया कि देश में प्रति दिन करीब 2.5 लाख टन कचरा पैदा होता है। कुल ऑर्गेनिक कचरे का 85 फीसदी हिस्सा कचरे के ढेर तक पहुंचता है। ऑर्गेनिक कचरा के ज्यादा होने से मीथेन, कार्बन डाई ऑक्साइड और अमोनिया गैसे पैदा होती हैं। यह गैसें खतरनाक हैं और मानव स्वास्थ्य के साथ पर्यावरण के लिए हानिकराक हैं। आईबीए के मुताबिक, कई शोधों से पता चलता है कि कचरे के इन ठिकानों के आसपास रहने वाले लोगों को अस्थमा, डायरिया, पेट-दर्द, फ्लू, हैजा, मलेरिया, कफ और त्वचा संबंधी समस्याएं अधिक होती हैं। कई राज्यों में कंपोस्ट लायक कचरे को कम करने में बायोगैस उद्योग मददगार हो सकता है। फिलहाल, देश भर में 200 बायोगैस संयंत्रों की ऑर्गेनिक कचरे की कुल निपटान क्षमता 20,000 टन प्रतिदिन है।
ग्रीनहाउस में कमी ला सकता है भारत Biogas Industry
आईबीए के अध्यक्ष ए आर शुक्ला ने कहा भारत ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी की प्रतिबद्धताएं पूरी करने में मदद कर सकता है। हालांकि पहले उसके कचरे को ढेर तक पहुंचाने से पहले उसका सही तारीके से उपयोग में लाना होगा। शुक्ला ने कहा महानगरों का करीब आधा कचरा कंपोस्ट हो सकता है और इसका इस्तेमाल बायोगैस उद्योग में किया जा सकता है। अगर सरकारें चाहे तो उद्योग में सब्सिडी देकर उनको बढ़ा सकती हैं।
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