BJP and JDU Broke Alliance
इंडिया न्यूज,बिहार:बीते दिनों से बिहार में चल रही सियासी गहमागहमी आखिरी मंगलवार को सत्ता परिवर्तन के साथ थम ही गई। बिहार राज्य में भारतीय जनता पार्टी और जनता दल (यूनाइटेट) का नाता टूट गया है। भाजपा के सहयोग से मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है और अब वह महागठबंधन के सहारे पुन: मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। कार्यवाह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्यपाल के आवास जाकर फागू चौहान को अपना इस्तीफा सौंपा और तुरंत ही नई सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया। नीतीश कुमार के पास महागठबंधन में निर्दलीय समेत 164 विधायकों समेत 7 पार्टियां का समर्थन है।
वैसे तो पिछले दो दिनों देश में भाजपा और जदयू के गठबंधन तोड़ने की चर्चा चल रही थी लेकिन किसी को इस बात का आभास नहीं था कि नीतिश कुमार इतनी जल्दी इस फैसले पर आ सकते हैं। इससे पहले कार्यवाहक मुख्यमंत्री कुमार ने आज (मंगलवार) राजधानी पटना में पार्टी के विधायकों और सांसदों के एक बैठ बुलाई। इस बैठक में नीतीश कुमार ने यह निर्णय लिया कि अब भाजपा के साथ गठबंधन में नहीं रहना चाहिए, जिसका समर्थन पार्टी के सांसद और विधायकों ने किया। बैठक में सभी लोगों ने एक मत से भाजपा से अगल होने का सुर मिला।
जल्दी ही कार्यवाह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महागठबंधन के रूप में बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे,लेकिन उससे पहले यह जाने लेना चाहिए कि आखिर क्यों बिहार में बरसों से साथ रहे भाजपा और जदयू की राहें अलग हो गई हैं। आईये डालें हैं 10 बिंदुओं पर नजर।
- भाजपा के ऊपर जेडीयू के विधायकों को तोड़ने की कोशिश के आरोप लगया गया।
- भाजपा नेताओं के बयान से नीतीश कुमार असहज थे
- लॉ एंड ऑर्डर के मुद्दे पर बीजेपी द्वारा घेरे जाने से नीतीश कुमार आहत थे
- बिहार में शराबबंदी कानून को लेकर बीजेपी नेताओं की बयानबाजी
- बिहार विधानसभा सभा में सीएम नीतीश कुमार और स्पीकर विजय सिन्हा के बीच हुई तीखी बहस
- नीतीश कुमार को पीएम उम्मीदवार बनाए जाने की बात
- पटना के फुलवारीशरीफ टेरर मॉडल पर बीजेपी नेताओं के सवालों से नाराज थे नीतीश कुमार.
- जेडीयू नेताओं द्वारा आरोप लगाए गए कि बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी द्वारा जेडीयू के कई उम्मीदवारों को हराने का प्रयास किया गया
- नीतीश सरकार में बीजेपी कोटे के मंत्रियों द्वारा जेडीयू के मंत्रियों के साथ सहयोग की कमी होने की खबर भी सामने आ रही थी
- जनसंख्या नियंत्रण, जातीय जनगणना और धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे पर भी नीतीश कुमार बीजेपी के साथ-साथ कई बार सहज महसूस नहीं कर रहे थे
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