इंडिया न्यूज,नई दिल्ली।
Delhi Government Budget: दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 75,800 करोड़ रुपये का बजट पेश किया। दिल्ली सरकार के उपमुख्यमंत्री ने इस बजट को रोजगार बजट करार दिया और अगले पांच साल में सूबे में 20 लाख रोजगार पैदा करने के लिए कई कदमों की घोषणा की। दिल्ली सरकार के इस रोजगार बजट को सूबे के विपक्षीय दल भाजपा ने काल्पनिक बजट करार दिया। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मुंगेरी लाल की तरह बजट में हसीन सपने देखे हैं और जनता को बहकाने का प्रयास किया है। सरकार की तरफ से रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कोई ठोस कार्यक्रम या योजना नहीं लाई गई। सरकार पिछले सात सालों कोई रोजगार नहीं दे सकी। इसके अलावा स्वास्थ्य, शिक्षा, ट्रांसपोर्ट, पर्यावरण, बिजली, और पानी के क्षेत्र में विफलता भी किसी से छिपी नहीं है। बजट में जमीनी सच्चाई कहीं दिखाई नहीं देती।
शिक्षकों खाली पड़े हैं 24 हजार पद
बिधूड़ी ने कहा कि आम आदमी पार्टी सरकार खुद ही अपनी पीठ थपथपाने और सपनों में रहने की आदी हो चुकी है। दिल्ली के स्कूलों में शिक्षकों के 24 हजार से ज्यादा पद खाली पड़े हैं. लेकिन उन्हें भरने की कोई योजना लाने की बजाय सरकार गेस्ट टीचर्स की भर्ती को उपलब्धि बता रही है जिन्हें सात साल में नियमित नहीं किया गया। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और हैल्पर, वोकेशनल ट्रेनर और करीब डेढ़ लाख कांट्रेक्ट कर्मचारियों को नियमित करने में सरकार नाकामयाब रही है। आप सरकार हर साल रोजगार मेला लगाती है। बजट में यह क्यों नहीं बताया गया कि उनसे कितने लोगों को रोजगार मिला।
सरकारी अस्पताल बन गए बूचड़खाने
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान दिल्ली में जिस तरह प्रलय की स्थिति बनी रही और अदालतों को कहना पड़ा कि दिल्ली सरकार के अस्पताल बूचड़खाने बन गए हैं, उन हालात में उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के बजट भाषण पर कोई कैसे विश्वास करेगा कि दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं के कारण लोग संतुष्ट रहे। बजट में जिन नए अस्पतालों को खोलने का श्रेय लिया गया है, वह आप सरकार के आने से पहले ही अस्तित्व में आ चुके थे। बुराड़ी अस्पताल और इंदिरा गांधी अस्पताल चालू करने में ही आप सरकार ने सालों लगा दिए और कोर्ट की फटकार के बाद चालू हो सके।
सरकार ने युमना की सफाई की बात की लेकिन नहीं हुआ सुधार
उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में जिन पांच नए विश्वविद्यालयों को खोलने का दावा किया गया है उनमें से तीन तो पहले से ही कॉलेज के रूप में चल रहे थे और उनका सिर्फ नाम बदला गया है। बाकी दो विश्वविद्यालय अभी कागजों में ही हैं। दिल्ली की जनता को यह सरकार साफ पानी उपलब्ध कराने में नाकाम रही है और 24 घंटे पानी उपलब्ध कराने के सपने दिखा रही है। इसी तरह यमुना की सफाई की बात सात साल से की जा रही है लेकिन यमुना की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ।
बजट में किसानों के साथ किया सौतेला व्यवहार (Delhi Government Budget)
प्रदूषण पर काबू पाने के लिए दिल्ली सरकार की योजनाओं को सफल बताने पर बिधूड़ी ने कहा कि यहां भी दिल्ली सरकार सच्चाई से आंखें मूंदे बैठी है। दिसंबर में प्रदूषण के कारण सुप्रीम कोर्ट को दिल्ली के स्कूलों को बंद करने का आदेश देना पड़ा। स्मॉग टावर या पराली से खाद बनाने की योजनाएं सिर्फ प्रचार साबित हुई हैं। बिधूड़ी ने कहा कि इस बजट में दिल्ली देहात और किसानों के साथ एक बार फिर सौतेला व्यवहार हुआ है। उनके लिए कोई नई योजना घोषित करना तो दूर, ग्रामीण विकास बोर्ड के लिए किसी राशि का भी उल्लेख नहीं किया गया। इसी तरह यमुनापार विकास बोर्ड को भी इस सरकार ने पंगु बना दिया है।
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