Saturday, October 19, 2024
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आरबीआई के इस निर्णय से जनता तो एक बार फिर लगेगा महंगाई का झटका

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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:

सरकार हो या आरबीआई सभी का मुख्य फोकस तेजी से बढ़ रही मुद्रास्फीति को कंट्रोल करना है। इसी कड़ी में अब ये बात सामने आई है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अगले हफ्ते होने वाली अपनी मौद्रिक समीक्षा में एक बार फिर से रेपो दर में 0.40 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर सकता है। यह कहना है विदेशी ब्रोकरेज कंपनी बैंक आफ अमेरिका सिक्योरिटीज का।

मुद्रास्फीति को कम करने के लिए नीतिगत दर में बढ़ोतरी

ब्रोकरेज कंपनी ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट जारी कर कहा कि मई में भी मुद्रास्फीति का आंकड़ा 7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। लिहाजा रिजर्व बैंक की तरफ से इस पर नियंत्रण के लिए कई और कदम उठाने की उम्मीद है। दरअसल, आरबीआई ने गत मई में भी रेपो दर में 0.40 प्रतिशत की बढ़ोतरी करते हुए 4.40 प्रतिशत कर दिया था। बढ़ती मुद्रास्फीति को कम करने के लिए आरबीआई ने नीतिगत दर में बढ़ोतरी की थी।

अगले हफ्ते होगी आरबीआई की मौद्रिक समीक्षा की बैठक

वहीं अब एक बार फिर से आरबीआई रेपो दर में 0.40 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर सकता है। अगले हफ्ते ही आरबीआई की मौद्रिक समीक्षा की बैठक होनी है। यही नहीं, आरबीआई की अगस्त की समीक्षा बैठक में भी रेपो रेट 0.35 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। यदि ऐसा नहीं होता है तो आरबीआई अगले हफ्ते 0.50 प्रतिशत और अगस्त में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी का मन बना सकता है।

अगले हफ्ते आरबीआई द्वारा रेट हाइक से होने वाले बदलाव

जानना जरूरी है कि आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल ही में कहा है कि मुद्रास्फीति को 6 प्रतिशत के संतोषजनक स्तर के भीतर लाने के दबावों को देखते हुए नीतिगत दर में एक और बढ़ोतरी होना कोई बड़ी बात नहीं है। यदि आरबीआई अगले हफ्ते रेट हाइक करता है तो आप पर भी इसका असर हो सकता है। लोन महंगे हो सकते हैं और आपकी ईएमआई भी बढ़ सकती है। आपके होम लोन की ईएमआई बढ़ने से आपकी जेब और हल्की होगी।

रेट हाइक पर उठे ये सवाल 

आरबीआई द्वारा रेट हाइक पर ये सवाल उठता है कि क्या रेट हाइक से फूड या फ्यूल इंफ्लेशन कम होगा। दरअसल, बाजार विशेषज्ञों की माने तो रेट हाइक, फूड या फ्यूल इंफ्लेशन को कम करने में अप्रभावी होगा। लेकिन सामान्य इंफ्लेशन को और बढ़ने से रोकने में जरूरी मददगार साबित होगा। मुद्रास्फीति में आई उछाल नए वित्त वर्ष के लिए खतरनाक है। अत: यह संभावना है कि इस वित्त वर्ष में आगे भी दरों में 1 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है।

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