इंडिया न्यूज, नई दिल्ली।
Cooking Oil: वाहन ईंधनों की कम कीमतों से लोगों को भले ही राहत मिल रही हो, लेकिन उसकी भरपाई देश में बढ़ी खाद्य तेल की कीमतें पूरी कर दे रही हैं। मौजूदा समय देश में खाने वाले तेलों की कीमतें आसमान को छू रही हैं, जिसके वजह से लोग महंगाई से पेशान हैं। ऐसे अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले समय मे भी इसकी कीमतों को कोई परिवर्तन नहीं दिखाई पड़ेगा। मतलब साफ कि कूकिंग ऑयल के रेट ऐसे ही रहेंगे, यहां तक आगे साल भी कीमतें ऐसी बनी रहेगीं। यह कीमतें 2019 के स्तर से 30 प्रतिशत ज्यादा है।
मार्च कम हो सकती हैं कीमतें Cooking Oil
वहीं, कुछ लोगों को कहना है कि मार्च 2022 में सरसों की नई फसल आने से बढ़ी हुई खाद्य तेलों की कीमतों में करीब 7 से लेकर 8 फीसदी तक गिरावट देखने को मिल सकती है। जिसके चलते मौजूदा रेट में भी कमी आएगी। इस देश में खाद्य तेल 200 रुपए के ऊपर बिक रहा है।
70 प्रतिशत तेल होता आयात Cooking Oil
भारत अपनी जरूरत का 70 प्रतिशत खाद्य तेल आयात करता है। इस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोयाबीन, सनफ्लावर और पाम तेलों की कीमत में बढ़ोतरी हुई है। इसी मुख्य वजह से देस में भी खाद्य तेल महंगा बिक रहा है। हालांकि इस समय देश में खद्या तेल में कमी की आई है। इसके पीछे की वजह यह है कि केंद्र सरकार ने तेल के आयात पर टैक्स में कटौती की है जिससे रिफाइंड सोयाबीन तेल की होलसेल कीमत में कमी आई है। जहां जुलाई व अगस्त में इसकी थोक कीमत 150 रुपए किलो थी। अब इसकी कीमत 125 रुपए हो गई है।
इसके अलावा आरबीडी पाम की रेट में भी कमी आई है। पहले जो यह 140 रुपए प्रति किलो बिक रहा था अब यह 120 रुपए में आ गया है। इस तरह सनफ्लावर ऑयल की कीमत 150 रुपये से घटकर 128 रुपये प्रति किलो पर आ गई है।
हालांकि इन घटी हुई खाद्य तेल कीमतों का असर अभी बाजार में देखने को नहीं मि रहा है। वहीं आशंका जताई जा रही है कि 2022 की पहली छमाही में विश्व में पाम ऑयल के रेट बनाने वाले हैं।
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