इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
cryptocurrency क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने की जगह सरकार ने एक रास्ता निकाला है। इस रास्ते पर चलते हुए इसे एक नियामक ढांचे के तहत लाया जाएगा। इस बारे में एक कानून के तहत डिजिटल मुद्रा क्रिप्टो करेंसी का नाम बदलकर क्रिप्टो-एसेट कर दिया जाएगा। इसे सेबी के नियामक दायरे में लाया जाएगा। सरकार का क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध लगाने का कोई इरादा नहीं है, बल्कि वह इसका नाम बदलकर क्रिप्टो एसेट करने पर विचार कर रही है जिसे सेबी की ओर से विनियमित किया जाएगा। यह बात खुद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में संसद में एक सवाल का जवाब देते हुए स्पष्ट की है। वह यह भी चाहती है कि इससे किसी भी प्रकार की आर्थिक अनियमितताओं को बढ़ावा न मिले।
शीतकालीन सत्र में बिल होगा पेश Cryptocurrency
इस संबंध में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कैबिनेट की मंजूरी के बाद क्रिप्टो करेंसी सम्बन्धी बिल मौजूदा शीतकालीन सत्र के तीसरे सप्ताह में पेश किया जाएगा। यह एक जोखिम भरा क्षेत्र है जो पूर्ण नियामक ढांचे में नहीं है। इसलिए इस पर रोक लगाने का कोई फैसला नहीं लिया गया, बल्कि आरबीआई और सेबी के माध्यम से जागरूकता पैदा करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इस बारे में सरकार जल्द ही एक विधेयक पेश करेगी।
बदला जाएगा इसका नाम Cryptocurrency Ban India
मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए बिल यह सुनिश्चित करेगा कि प्रिवेंशन आॅफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के कुछ प्रावधान भी लागू हों। बताया यह भी जा रहा है कि सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने के बजाय एक नियामक ढांचे के तहत लाने का फैसला किया है। इस बाबत प्रस्तावित एक कानून के तहत डिजिटल मुद्रा क्रिप्टो करेंसी का नाम बदलकर क्रिप्टो-एसेट कर दिया जाएगा और इसे सेबी के नियामक दायरे में लाया जाएगा।
जानकारों की यह है राय Cryptocurrency
जानकारों का कहना है कि केंद्र सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने के बजाय एक नियामक ढांचे के तहत लाने का सही फैसला किया है, जिससे कि ऐसी संपत्तियों पर चीन जैसी किसी कार्रवाई की आशंकाओं को शांत किया जा सके। इसी उद्देश्य से प्रस्तावित कानून के तहत क्रिप्टोकरेंसी का नाम बदलकर क्रिप्टो-एसेट किया जाएगा और इसे भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियामक दायरे में लाया जाएगा।
संपत्ति के रूप में होगा वर्गीकृत Cryptocurrency
क्रिप्टो करेंसी को नियंत्रित करने और प्रतिबंधित नहीं करने की सरकार की योजना पर प्रकाश डालते हुए बताया गया है कि क्रिप्टो को एक संपत्ति के रूप में वगीकृत करने से यह सुनिश्चित होगा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और क्रिप्टो करेंसी की ओर से लॉन्च की जाने वाली डिजिटल मुद्रा के बीच कोई ओवरलैप नहीं है। सभी क्रिप्टो एक्सचेंज सेबी के नियामक दायरे में आएंगे। किसी भी उल्लंघन के कारण मौद्रिक दंड 5-20 करोड़ रुपये और कारावास हो सकता है।
बनाना पड़ सकता है एक तंत्र Cryptocurrency
जानकारों का यह भी कहना है कि सेबी क्रिप्टो को विनियमित करने के लिए उत्सुक नहीं था क्योंकि इसकी कोई अंतर्निहित संपत्ति नहीं है। कोई अंडरलाइंग के अभाव में निपटान कैसे सुनिश्चित करता है? बताया जाता है कि क्रिप्टो करेंसी के सभी लेनदेन ब्लॉकचेन पर दर्ज नहीं किए जाते हैं। बल्कि केवल एक या कुछ वॉलेट पते हैं, जो सिक्का रखते हैं और ग्राहक एक-दूसरे से खरीदते-बेचते हैं, लेकिन यह रिकॉर्ड केवल एक्सचेंज द्वारा बनाए रखा जाता है। यहां कोई नियामक नहीं है। इसलिए सेबी को एक तंत्र बनाना पड़ सकता है, जैसे कि प्रत्येक लेनदेन और प्रत्येक वॉलेट को एक केंद्रीयकृत डीमैट प्रकार के स्टोर से अलग रखा जाता है, इसलिए आपके पास एक अलग डेटाबेस हो सकता है जो सिक्का स्वामित्व को स्टोर करने के लिए अधिक वास्तविक समय है।
एक वर्गीकृत विचार यह भी Cryptocurrency
क्रिप्टो उद्योग के एक अन्य जानकार की मानें तो उनका यह व्यक्तिगत विचार अभी भी बना हुआ है कि एक एकल नियामक सही दृष्टिकोण नहीं हो सकता है। भविष्य वैसे भी संपत्ति के व्यापार के बारे में नहीं है। यह उससे परे है, जैसे कि एनएफटी- वे कहां फिट होंगे? हमारे सहित कई लोग सेबी के नियामक होने की ओर इशारा कर रहे हैं और आज नहीं तो कल उसे इसे नियंत्रित करने के उपाय करने ही होंगे।
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