Investors disillusioned with cryptocurrencies
इंडिया न्यूज,नई दिल्ली। आज 6 महीने पहले cryptocurrency बाजार वैश्विक स्तर पर बूम-बूम कर रहा था और निवेशकों का निवेश करने का सबसे पसंददीदा जगह में से एक बना हुआ था। लेकिन अब निवेशक क्रिप्टोबाजार से दूर जाने लगे हैं और लगातार ऐसे पैसा निकाल रहे हैं। इससे पीछे की वजह यह है कि भारत समेत दुनियाभर के देश क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कड़े कदम उठा रहे हैं। कुछ समय से लगातार क्रिप्टो बाजार में गिरावट का दौरा जारी है। मजह छह महीने के भीतर क्रिप्टोकरेंसी की सबसे बड़ी करेंसी बिटक्वॉइन में 50 फीसदी तक की गिरावट आ चुका है। इसका वैश्विक बाजार पूंजीकरण में भी गिरावट का दौरा शुरु है।
ग्लोबल क्रिप्टो मार्केट भी रहा गिर
नवंबर 2021 में बिटक्वॉइन की कीमत अपने पीक पर पहुंच गई थी और यह करीब 62 हजार डॉलर के आसपास पर कारोबार कर रही थी। हालांकि अब इस करेंसी में गिरावट दर्ज होते हुए 31 हजार डॉलर पर आ गई है। बिटक्वॉइन की बाजार में कुल हिस्सेदारी करीब 33 फीसदी की है और मार्केट वैल्यू 570 अरब डॉलर, लेकिन शेयर बाजारों में जारी गिरावट के साथ क्रिप्टोकरेंसी भी टूट रही है। बिटक्वॉइन में महज एक सप्ताह के भीतर ही 20 फीसदी की गिरावट आई है और यह 31,116.38 डॉलर प्रति क्वॉइन के भाव पर है। इतना ही नहीं, ग्लोबल क्रिप्टो मार्केट भी गिरकर 1.41 ट्रिलियन डॉलर पर आ गया है।
अन्य क्रिप्टो करेंसी में भी गिरावट
यह गिरावट क्रिप्टोकरेंसी के अन्य करेंसी में भी जारी है। पिछले 24 घंटों में Dogecoin में 11 फीसदी, Shiba Inu में 15 फीसदी की बड़ी गिरावट दर्ज हुई है। वहीं, टेरा 21.28 फीसदी और एवलांच 16 फीसदी से ज्यादा गिरी हैं।
इन चीजों के प्राभावित किया क्रिप्टो बाजार को
वॉल्ड के सीईओ और सह-संस्थापक दर्शन बथीजा ने क्रिप्टोकरेंसी में आई गिरावट की वजह अमेरिकी बैंक के ब्याज दरों में बढ़ोतरी का माना है। उनका कहना है कि जब से अमेरिकी फेड रिजर्व ने अपनी ब्याज दरों में 0.50 फीसदी बढ़ोतरी का ऐलान किया है, तभी से क्रिप्टो बाजार में गिरावट का दौरा जारी है। इसके अलावा डॉलर के मुकाबले रुपये में आई रिकॉर्ड गिरावट, रूस-यूक्रेन युद्ध और श्रीलंका संकट जैसे जियोपॉलिटिकल टेंशन की वजह से भी निवेशकों का सेंटिमेंट प्रभावित हो रहा है। इन सबके बाद सबसे बड़ी वजह भारत सहित दुनिया के कई देश क्रिप्टो के गलत इस्तेमाल को लेकर आशंका जता चुके हैं।
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