Fiscal Deficit
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
राजस्व प्राप्तियां बेहतर रहने और बाजार मूल्य पर जीडीपी (GDP) में उच्च वृद्धि रहने की संभावना के मद्देनजर अगले वित्त वर्ष में राज्यों की माली हालत में सुधार होता दिख रहा है। रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स (India Ratings) ने वित्त वर्ष 2022-23 में राज्यों के वित्त परिदृश्य को संशोधित कर इसे तटस्थ से सुधरता हुआ कर दिया है। इंडिया रेटिंग्स के मुताबिक राजस्व वृद्धि के दम पर राज्यों का कुल राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) उनके सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 3.6 प्रतिशत पर आ सकता है।
बता दें कि इसके पहले रेटिंग एजेंसी ने कहा था कि अगले वित्त वर्ष में राज्यों का राजकोषीय घाटा उनके जीडीपी के 4.1 प्रतिशत तक रह सकता है। वित्त वर्ष 2021-22 में इसके जीडीपी का 3.5 प्रतिशत रहने का पूवार्नुमान जताया गया है।
शुक्रवार को इंडिया रेटिंग्स ने बयान जारी कर कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 के लिए उसका पिछला पूवार्नुमान ‘तटस्थ’ का था लेकिन अब इसे बदलकर सुधरता हुआ किया जा रहा है।
GDP की वृद्धि दर 17.6 फीसदी
वहीं इंडिया रेटिंग्स (India Ratings) ने चालू वित्त वर्ष में राष्ट्रीय स्तर पर बाजार मूल्य पर जीडीपी की वृद्धि दर 17.6 फीसदी रहने का भी अनुमान जताया है जो 15.6 फीसदी के पिछले पूवार्नुमान से बेहतर है। एजेंसी ने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 में राज्यों की सकल बाजार उधारी 6.6 लाख करोड़ रुपये और शुद्ध बाजार उधारी 4.6 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जो कि क्रमश: 8.2 लाख करोड़ रुपये और 6.2 लाख करोड़ रुपये के पिछले अनुमान से कम है।
वहीं अगले वित्त वर्ष में सकल बाजार उधारी सात लाख करोड़ रुपये और शुद्ध बाजार उधारी 4.63 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान रेटिंग एजेंसी ने जताया है। राज्यों की राजस्व प्राप्तियां बढ़ने और केंद्र से ज्यादा कर हिस्सेदारी मिलने से हालात सुधरने की उम्मीद है।
26 राज्यों से प्राप्त सूचना पर आधारित है अनुमान
रेटिंग एजेंसी के अनुसार उसका पूवार्नुमान चालू वित्त वर्ष में 26 राज्यों से प्राप्त सूचना पर आधारित है। इन राज्यों की सकल राजस्व प्राप्ति अप्रैल-नवंबर के दौरान सालाना आधार पर 25.1 प्रतिशत बढ़कर 16.4 लाख करोड़ रुपये रही। जबकि इस अवधि में उनका राजस्व व्यय केवल 12 प्रतिशत बढ़ा।
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