Farmer Protest
इंडिया न्यज, नई दिल्ली:
करीब एक साल से जारी आज किसान आंदोलन समाप्त होने की कगार पर है। संयुक्त किसान मोर्चा जल्द ही इसकी घोषणा कर सकता है। सरकार ने 3 कृषि कानून तो वापस ले ही लिए हैं लेकिन किसान अब अन्य मांगों पर अड़े हैं।
किसान अब आंदोलन के दौरान जारी केसों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं। इस पर किसानों को केंद्र सरकार ने नया प्रस्ताव भेजा है लेकिन फिलहाल इस मामले में पेंच फंसा हुआ है।
आज संयुक्त किसान मोर्चा के 5 नेताओं की बैठक हुई। यही दल किसानों की आगे की रणनीति तय करेगा। इससे पहले मोर्चे की पिछली बैठक में 5 नेताओं की कमेटी बनाने पर फैसला किया गया था।
बता दें कि तीन कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी पर कानून बनाने सहित अन्य मांगों पर समिति गठित करने की बात केंद्र पहले ही कर चुका है। केंद्र ने पहली बार मंगलवार को संयुक्त किसान मोर्चा के पास लिखित प्रस्ताव भेजा है। इसमें किसानों की सभी मांगों को मानने का जिक्र है लेकिन मोर्चा के नेताओं ने उक्त प्रस्ताव का स्वागत करते हुए तीन प्रमुख आपत्तियों के साथ सरकार को वापस भेज दिया।
इस पर केंद्र सरकार ने पहले आंदोलन समाप्त करने की बात कही बाद में केस वापस लेने की बात कही थी। किसानों ने सरकार की ओर से भेजे गए मसौदे पर अपनी असहमतियां भेजते हुए इनमें सुधार करने की बात कही थी।
एमएसपी पर गठित समिति में शामिल होंगे किसान संगठन
किसान संगठन शुरू से ही तीन कृषि कानूनों व एमएसपी पर कानून बनाने की मांग पर अड़े हÞुए हैं। वहीं संयुक्त किसान मोर्चा के नेता अशोक दावले ने माना है कि गृह मंत्रालय की ओर से मंगलवार को प्रस्ताव आया है, लेकिन इसमें कुछ बिंदुओं पर स्पष्टता नहीं है।
ऐसे में मोर्चा और सरकार दोनों का मानना है कि यह प्रस्ताव अंतिम नहीं है। इसमें और संशोधन किया जा सकता है। बलबीर सिंह राजेवाल ने बताया कि केंद्र के प्रस्ताव में उल्लेख है कि एमएसपी पर गठित होने वाली समिति में संयुक्त किसान मोर्चा के अलावा दूसरे किसान संगठनों को भी शामिल किया जाएगा।
केंद्र के प्रस्ताव पर किसानों का पेंच फंसा (Farmer Protest)
प्रस्ताव- 1 : प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एमएसपी पर समिति गठित करने की बात कही है। जिसमें राज्य सरकार और केंद्र सरकार के अलावा किसान संगठनों के प्रतिनिधि व कृषि वैज्ञानिक शामिल करने की बात कही गई है। लेकिन एसकेएम का कहना है कि इसमें यह स्पष्ट नहीं है कि किसान प्रतिनिधि में संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।
किसानों का कहना: संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि इस समिति में उन संगठनों का प्रतिनीधि शामिल नहीं किया जाना चाहिए जो सरकार के पक्ष में आकर आंदोलन को समाप्त करना चाहते हैं। इसमें केवल उन संगठनों को शामिल किया जाए जो एक साल से किसान आंदोलन का हिस्सा रहे हैं।
प्रस्ताव-2 : किसानों पर आंदोलन के दौरान जो मुकदमे दर्ज हुए थे उन्हें वापस लेने के लिए हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार ने पहले ही वापस लेने की बात कह दी है। वहीं दोनों राज्यों की सरकारों ने कहा है कि आंदोलन समाप्ती के तुरंत बाद ही किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएंगे।
किसानों का कहना: संयुक्त किसान मोर्चे का कहना है कि हमारे पहले के अनुभव काफी कड़वे रहे हैं। सरकार कहती कुछ है और करती कुछ है। जब तक सरकार को मुकदमें समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू करने की समय सीमा निर्धारित नहीं करती तब तक आंदोलन जारी रहेगा। क्योंकि कई राज्य सरकारों ने मुकदमे वापस लेने की घोषणा तो की लेकिन आजतक काम नहीं किया गया।
प्रस्ताव- 3 : किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों को मुआवजे देने की बात उत्तर प्रदेश सरकार और हरियाणा ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है। वहीं इस संबंध में पंजाब सरकार ने भी सार्वजनिक घोषणा कर दी है।
किसानों का कहना : केंद्र सरकार सैद्धांतिक सहमति देने के बजाए पंजाब मॉडल की तर्ज पर मृतक किसान परिवार को पांच लाख रुपये का मुआवजा व एक सदस्य को नौकरी देने की लिखित में गारंटी दे तो आंदोलन को खत्म करने के बारे में सोचा जा सकता है।
प्रस्ताव-4 : जहां तक बिजली बिल का सवाल है, संसद में पेश करने से पहले सभी स्टेक होल्डर्स के अभिप्राय लिए जाएंगे।
किसानों का कहना : हमारी पूर्व में सरकार के साथ बैठक हुई थी जिसमें तय हुआ था कि सरकार उक्त बिल को संसद में लेकर नहीं आएगी। लेकिन संसद की सूची में उक्त बिल अभी भी सूचीबद्ध किए गए हैं। इन बिलों से आम पब्लिक के साथ-साथ किसानों पर बिजली के बिलों का अतिरिक्त बोझ बढ़ जाएगा।
Peasant movement in the last phase: प्रस्ताव-5 : जहां तक पराली के मुद्दे का सवाल है, भारत सरकार ने जो कानून पारित किया है, उसकी धारा 14 व 15 में क्रिमिनल लायबिलिटी से किसान को मुक्त दी है।
Peasant movement in the last phase: किसानों का कहना : आपके द्वारा बनाए गए बिल के बिंदु नंबर 15 में ही ऐसा करने पर किसानों पर जुमार्ना व सजा देने का भी प्रावधान है उसका क्या होगा।
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