Financial Stability Report
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
आरबीआई ने अपनी दूसरी फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट जारी की है जिसमें आरबीआई ने कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को इकोनॉमी के लिए चुनौती बताया है, इसके अलावा महंगाई का दबाव बने रहने की आशंका भी जताई है।
रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर 2022 तक बैंकों का ग्रॉस NPA बढ़ सकता है। ठढअ के सितंबर, 2022 में उछलकर 8.1%-9.5% तक जाने का अनुमान भी गया गया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि 2021 में कोरोना की दूसरी लहर आई थी जिसके बाद ग्रोथ आउटलुक में सुधार रहा है लेकिन ग्लोबल डेवलपमेंट और फिर से आ रहे कोरोना वायरस एवं नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के कारण इकोनॉमी के सामने चुनौती पैदा हुई है।
देश में MSME सेक्टर में दबाव के संकेत मिल रहे है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि घरेलू मोर्चे पर टीकाकरण में रफ्तार के चलते इकोनॉमी की रिकवरी कोरोना के दूसरी लहर के झटके बाद एक बार फिर पटरी पर आती दिख रही है। हालांकि हाल में एक बार फिर रिकवरी की गति धीमी पड़ने के संकेत मिले हैं।
लागत बढ़ने की वजह से पैदा हुई महंगाई को लेकर चिंता बनी हुई है। उन्होंने फूड और एनर्जी प्राइस को काबू में लाने के लिए सप्लाई-साइड पर ठोस उपाय करने के लिए कहा।
कॉपोर्रेट सेक्टर में मजबूती
रिपोर्ट में कहा गया है कि क्रेडिट ग्रोथ में सुधार के अलावा कॉपोर्रेट सेक्टर में मजबूती आती दिख रही है। शेड्यूल कमर्शियल बैंकों का रिस्क वेटेड एसेट रेश्यो 16.6 फीसदी के नए हाई पर पहुच गया है जबकि सितंबर 2021 में इनकी प्रोविजनिंग कवरिंग रेश्यो 68.1 फीसदी पर रही है जो बैंकिंग सेक्टर के लिए एक अच्छा संकेत है।
Also Read : New Rules Of IPO आईपीओ से संबंधित नियमों में सेबी ने किए बदलाव, जानिए आप पर क्या होगा असर