वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में कहा है कि दूसरी सभी मुद्राओं की तुलना में भारतीय मुद्रा में मजबूती है। लोकसभा में बोलते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने विदेशी एक्सचेंज रिजर्व का इस्तेमाल करते हुए यह सुनिश्चित किया है कि डॉलर की तुलना में रुपया बहुत ज्यादा कमजोर ना हो। वित्त मंत्री ने कहा कि हालांकि यह दुखद है कि संसद में मौजूद कुछ लोग भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि से नाखुश हैं। भारत की अर्थव्यवस्था सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है पर विपक्ष को इससे दिक्कत है। लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि देश के हर व्यक्ति को भारत के विकास पर गर्व होना चाहिए पर कुछ लोग इसे मजाक समझ रहे हैं।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में कहा कि संबंधित महालेखाकारों से प्रमाण पत्र के साथ संबंधित कागजात मिलने के बाद राज्य सरकारों के जीएसटी दावों का भुगतान कर दिया जाएगा। उन्होंने लोकसभा में यह भी कहा कि केंद्र सरकार राज्यों को सभी वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) मुआवजे का भुगतान करने के लिए प्रतिबद्ध है और पिछले पांच वर्षों से लगातार ऐसा कर रही है। वित्त मंत्री ने कहा कि संबंधित महालेखाकार (एजी) का प्रमाण पत्र मिलते ही राज्यों को जीएसटी के तहत दिया जाने वाला मुआवजा जारी कर दिया जाएगा।
“राज्यों से एजी प्रमाणित दावे आने में देरी होती है, तो जाहिर है कि इस कारण जीएसटी मुआवजा के भुगतान में देरी होती है। जब राज्य के दावे के साथ एजी प्रमाण पत्र आएगा, उस समय पैसा भी जारी हो जाएगा। प्रश्नकाल के दौरान सीतारमण ने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से यह अप टू डेट है और उपकर के रूप में जो भी पैसा मिलता है, उसे राज्यों के बीच वितरित किया जाता है।उन्होंने कहा, “हम राज्यों से आए सभी दावों से अवगत हैं, जिन्हें संबंधित एजी की ओर से अनुमोदित किया गया था। हमने सभी का भुगतान कर दिया है।”
सीतारमण ने कहा कि अगर एजी ने राज्यों के दावों को मंजूरी नहीं दी है, तो राज्य सरकारों को इसमें तेजी लानी चाहिए। कई राज्य सरकारों का मानना है कि उनका जीएसटी मुआवजा लंबित है, ये लंबित इसलिए हैं क्योंकि केंद्र सरकार को आवश्यक कागजातों की आवश्यकता है, चुंकि यह पैसा करदाताओं का है, इसलिए इसके वितरण में सावधानी जरूरी है।
वहीं दूसरी ओर, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने सदन में बोलते हुए कहा कि कुछ लोग सोशल मीडिया पर कई दावे करते हैं जो तथ्यों के अनुसार पुख्ता नहीं होते। उनके अनुसार, एक वरिष्ठ सांसद ने दावा किया कि अब तक 3000 राजनीतिक लोगों के यहां छापेमारी की गई है। यह पूरी तरह से गलत है….कोई भी कानून निर्वाचित प्रतिनिधियों को कानूनी कार्रवाई से बचने की छूट नहीं देता है।