इंडिया न्यूज,नई दिल्ली।
बीते सप्ताह भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और US फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में हुई बढ़ोतरी का प्रभाव विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI or Foreign portfolio investment) पर साफ तौर पर दिखाई दिया है। मई के पहले चार कारोबारी सत्रों में भारतीय शेयर बाजारों से FPI ने 6,400 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है। भारी तादात पर हुई इस निकासी की वजह बाजार विशेषज्ञों ने भारत और अमेरिका की केंद्रीय बैंकों की ओर से बढ़ाई गई ब्याज दरें रही।
2 मई से 6 मई तक निकले 6,417 करोड़ रुपये
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने 2 से 6 मई के दौरान 6,417 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। हालांकि 3 मई को ईद पर बाजार बंद था,नहीं तो और भी निकासी हो सकती थी। ट्रेडस्मार्ट के चेयरमैन विजय सिंघानिया ने कहा कि दुनियाभर में केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहे हैं, जिसका असर शेयर बाजारों पर दिख रहा है इसके चलते एफपीआई भी ‘अंधाधुंध’ बिकवाली कर रहे हैं।
इन वजहों से हो रही बिकवाली
US फेडरल रिज़र्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी की आंशका के चलते अप्रैल, 2022 तक लगातार सात महीने तक FPI भारतीय बाजारों में शुद्ध बिकवाल रहे हैं। इस अवधि में शेयरों से 1.65 लाख करोड़ रुपये से अधिक की निकासी हुई। जबकि लगातार छह माह तक बिकवाली के बाद अप्रैल के पहले सप्ताह में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजारों में 7,707 करोड़ रुपये का निवेश किया था। हालांकि उसके बाद से FPI लगातार बिकवाली कर रहे हैं।
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