Know About Full Detail Of PM Security
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
5 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंजाब दौरे के दौरान उनकी सुरक्षा में बड़ी चूक सामने आई है। पहले तो प्रधानमंत्री मोदी के हेलीकाप्टर को खराब मौसम के कारण हरी झण्डी नहीं मिल पाई। इसके बाद जब पीएम मोदी सड़क मार्ग से अपने गंतव्य की ओर जा रहे थे तो रास्ते में उनका सामना प्रदर्शनकारियों से हो गया।
इतना ही नहीं, पीएम का काफिला 20 मिनट तक जाम में फंसा रहा। फिरोजपुर जिले के मुदकी के पास नेशनल हाईवे पर कुछ प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री मोदी का रास्ता तक रोक लिया। इसके बाद एक फ्लाई ओवर पर बारिश के बीच प्रधानमंत्री का काफिला 20 मिनट तक रुका रहा। जिस जगह उनका काफिला 20 मिनट तक रुका रहा, वह क्षेत्र भी संवेदनशील है और पाकिस्तान सीमा से सिर्फ 30-40 किलोमीटर दूर है।
इस घटना को पीएम की सुरक्षा में बड़ी चूक माना जा रहा है और राजनीतिक दलों में भी आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। गृह मंत्रालय ने पंजाब पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया है। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। जैसे कि प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी है, पीएम के दौरे का प्रोटोकॉल क्या होता, हम आपको इन सभी सवालों के जवाब बता रहे हैं-
कौन होता है PM की सुरक्षा का जिम्मेदार?
देश के पीएम की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप, यानी एसपीजी की होती है। PM के चारों ओर पहला सुरक्षा घेरा एसपीजी जवानों का ही होता है। पीएम की सुरक्षा में लगे इन जवानों को अमेरिका की सीक्रेट सर्विस की गाइडलाइंस के मुताबिक ट्रेनिंग दी जाती है। इनके पास एमएनएफ-2000 असॉल्ट राइफल, आॅटोमेटिक गन और 17 एम रिवॉल्वर जैसे मॉडर्न हथियार होते हैं।
SPG पहले ही कार्यक्रम स्थल पर पहुंचकर करती है मुआयना
जहां भी कार्यक्रम होता है वहां SPG की टीम पहले पहुंचकर कार्यक्रम स्थल का मुआयना करती है। SPG की टीम में केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के कर्मी भी शामिल होते हैं। इसके अलावा राज्य की पुलिस और स्थानीय खुफिया विभाग की भारी भरकम टीमें मौके पर तैनात होती हैं। यानी पीएम को त्रिस्तरीय सुरक्षा मिलती है। केंद्रीय टीमों वह SPG के अधिकारियों की पहले लोकल पुलिस के साथ बैठक होती है जिसे एडवांस सिक्योरिटी लाइजनिंग कहा जाता है।
पहले ही तैयार कर लिया जाता है रूट का खाका
पीएम के कार्यस्थल पर पहुंचने व वहां से निकलने को लेकर पहले ही रणनीति तैयार कर ली जाती है। अगर कार्यक्रम स्थल पर प्रधानमंत्री को हेलिकाप्टर से जाना है तो वह कैसे जाएंगे और आकस्मिक परिस्थितियों में अगर सड़क से जाना पड़े तो उनका काफिला कैसे जाएगा।
इसका पूरा खाका पहले बना लिया जाता है। पीएम के काफिले के मौके से निकलने से कीरब दस मिनट पहले रोड ओपनिंग टीम संबंधित रूट पर जाकर पुलिस व वरिष्ठ अधिकरियों से तालमेल करके रास्त क्लियर करवाते हैं। पूरे रूट की जानकारी सीक्रेट होती है।
क्या पीएम की सुरक्षा में चूक की जिम्मेदार SPG है?
ऐसा नहीं है। पीएम को सुरक्षा देने की पहली जिम्मेदारी भले ही एसपीजी की हो, लेकिन किसी राज्य के दौरे के समय स्थानीय पुलिस और सिविल प्रशासन भी सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होता है। प्रधानमंत्री के रूट को तय कर उसकी जांच और उस रूट पर सुरक्षा देने का काम स्थानीय पुलिस और प्रशासन का होता है। (PM Modi’s Security)
प्रधानमंत्री के काफिले का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी उस राज्य के डीजीपी की भी होती है। उनके नहीं मौजूद होने की स्थिति में दूसरे सबसे सीनियर अधिकारी प्रधानमंत्री के काफिले के साथ चलते हैं।
पीएम की हवाई यात्रा के दौरान क्या होता है प्रोटोकॉल?
प्रधानमंत्री किसी कार्यक्रम में हेलिकॉप्टर के जरिए जा रहे हैं तो किसी खास परिस्थिति के लिए कम से कम एक वैकल्पिक सड़क मार्ग तैयार रखने का नियम होता है। इस रास्ते पर सुरक्षा व्यवस्था की जांच सीनियर पुलिस अधिकारी पीएम के दौरे से पहले करते हैं। इस रास्ते पर सुरक्षा जांच रिहर्सल के समय एसपीजी स्थानीय पुलिस, खुफिया ब्यूरो और एएसएल टीम के अधिकारी सभी शामिल होते हैं। (PM Modi’s Security)
एक जैमर वाली गाड़ी काफिले के साथ चलती है। ये सड़क के दोनों ओर 100 मीटर दूरी तक किसी भी रेडियो कंट्रोल या रिमोट कंट्रोल डिवाइस के को जाम कर देते हैं, इससे रिमोट से चलने वाले बम या आईईडी में विस्फोट नहीं होने देता।
1985 में बनी थी ‘स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट’
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा पर रोजाना एक करोड़ 62 लाख रुपए खर्च होते हैं। यह जानकारी 2020 में संसद में दिए एक प्रश्न के लिखित जवाब में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री ने दी थी। उन्होंने लोकसभा में बताया कि स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप, यानी एसपीजी सिर्फ प्रधानमंत्री को ही सुरक्षा देता है।
आपको बता दें कि साल 1981 से पहले भारत के प्रधानमंत्री के आवास की सुरक्षा की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस के उपायुक्त की होती थी। इसके बाद सुरक्षा के लिए एसपीजी का गठन किया गया। 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद एक कमेटी बनी और 1985 में एक खास स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट बनाई गई। तब से इसी के पास प्रधानमंत्री की सुरक्षा का जिम्मा है।
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