International Womens Day 2022
इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली:
आप तो जानते ही है कि 8 मार्च को विश्व महिला दिवस मनाया जाएगा। इसी अवसर पर हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे है जिसने उम्र की सीमा और कई तरह के मिथक को तोड़ते हुई सफलता की नई मिसाल कायम की है। इनके नाम का डंका इंडिया में ही नहीं बल्कि अन्तराष्ट्र में भी बज रहा है। इस समय यह हर लड़की एवं महिला के लिए एक इंस्पिरेशन बन चुकी है। यह एक भारतीय अमेरिकी महिला है जो अपने ज्ञान की बदौलत फाइनेंस और इकॉनमी की दुनिया में खूब नाम कमा रही है इसका नाम है गीता गोपीनाथ।
मूल रूप से केरल की है Geeta Gopinath
गीता गोपीनाथ मूल रूप से केरल की रहने वाली है। वे अभी भी अपने पिता का ही नाम लगाती हैं। उनके पिता का नाम गोपीनाथ है। गीता गोपीनाथ बचपन में पढ़ाई में बहुत अच्छी नहीं थी। उनके पिता गोपीनाथ ने The Week के दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि सातवीं तक गीता के 45 फीसदी नंबर आते थे लेकिन इसके बाद वह 90 फीसदी नंबर लाने लगीं।
उन्होंने कहा, ‘मैंने कभी अपने बच्चों पर पढ़ाई के लिए दबाव नहीं डाला और उन पर किसी तरह की पाबंदियां नहीं लगाई। स्कूल के बाद गीता ने मैसूर में महाराजा पीयू कॉलेज जॉइन किया और साइंस की पढ़ाई की। तब उनके मार्क्स अच्छे थे और वह इंजीनियरिंग या मेडिसिन में जा सकती थीं। लेकिन उन्होंने इकनॉमिक्स में बीए (आनर्स) करने का फैसला किया।
2001 में पीएचडी की डिग्री हासिल की
गीता गोपीनाथ ने साल 1992 में दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से इकोनॉमिक्स में आॅनर्स की डिग्री हासिल की थी और फिर उन्होंने दिल्ली स्कूल आॅफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में ही एमए की डिग्री हासिल की।
साल 1994 में गीता गोपीनाथ अमेरिका चली गईं और उन्होंने वॉशिंगटन में स्थिति प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स से 1996-2001 में पीएचडी की डिग्री हासिल की। पोस्टग्रेजुएशन के दौरान उनकी मुलाकात इकबाल से हुई। दोनों ने बाद में शादी कर ली। इस दंपति का 18 साल का एक बेटा है जिसका नाम राहिल है।
विश्व में दिग्गज अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथी
गीता गोपीनाथ के कई रिसर्च इकोनॉमिक्स जर्नल्स में भी प्रकाशित हो चुकी हैं। साल 2019 में गीता गोपीनाथ को प्रवासी भारतीय सम्मान से सम्मानित किया गया था और वो साल 2019 से ही आईएमएफ में चीफ इकोनॉमिस्ट के तौर पर काम कर रही हैं। गीता गोपीनाथ को विश्व में दिग्गज अर्थशास्त्री माना जाता है और उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इंटरनेशनल फाइनेंस और मैक्रोइकोनॉमिक्स संबंधित रिसर्च के लिए भी जाना जाता है।
शिकागो यूनिवर्सिटी में रहीं असिस्टेंट प्रोफेसर
गीता गोपीनाथ वर्ष 2001 से 2005 तक शिकागो यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर रहीं, जिसके बाद उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर जॉइन किया। अगले 5 वर्षों में यानी 2010 में वह इसी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बन गईं। व्यापार एवं निवेश, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संकट, मुद्रा नीतियां, कर्ज और उभरते बाजारों की समस्याओं पर उन्होंने लगभग 40 शोध-पत्र भी लिखे हैं।
जब Geeta Gopinath के एक बयान हुआ था विवाद
पिछले साल गीता गोपीनाथ अपने एक बयान को लेकर विवादों में भी आ गई थी। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने वैश्विक आर्थिक विकास में गिरावट के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा था कि ग्लोबल ग्रोथ के अनुमान में 80 फीसदी गिरावट के लिए भारत जिम्मेदार है।
उनके इस बयान के बाद देश में विपक्षी पार्टियों ने मोदी सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने 2016 में सरकार के नोटबंदी के फैसले को भी आर्थिक विकास के लिहाज से नकारात्मक बताया था। लेकिन उन्होंने मोदी सरकार का विवादास्पद कृषि कानूनों की तारीफ की थी।
कानेर्गी कॉरपोरेशन से ने किया सम्मानित
गोपीनाथ को कानेर्गी कॉरपोरेशन ने ‘2021 ग्रेट इमिग्रेंट्स की सूची में शामिल किया गया था। इसलिए गीता गोपीनाथ को अमेरिका के कानेर्गी कॉरपोरेशन ने सम्मानित किया था। यह सम्मान अपने योगदान और कार्यों से अमेरिकी समाज और लोकतंत्र को समृद्ध एवं मजबूत करने के लिए दिया जाता है।
संस्था ने कहा कि 49 वर्षीय गीता गोपीनाथ को अंतरराष्ट्रीय वित्त और मैक्रोइकनॉमिक्स संबंधी अपने शोध के लिए जाना जाता है। उनके शोध कई इकनॉमिक्स जर्नल्स में प्रकाशित हुए हैं। 2019 में भारत सरकार ने उन्हें प्रवासी भारतीय सम्मान दिया था जो प्रवासी भारतीयों और भारतवंशियों को दिया जाने वाला सबसे बड़ा सम्मान है।
Also Read:- International Womens Day 2022 : Falguni Nair An entrepreneur who are ruling the business in India
also read:- Womens Day 2022 : Kiran Mazumdar Shaw Success Story