पॉलिसीबाजार में हेल्थ इंश्योरेंस के बिजनेस हेड- सिद्धार्थ सिंघल ने IRDAI के रेगुलेशन की सराहना की और कहा, IRDAI के निर्देशानुसार अब हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों में पहले से मौजूद बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड को 4 साल से घटाकर 3 साल करना अनिवार्य है। यह एक बहुत ही सराहनीय कदम है क्योंकि यह हेल्थ इंश्योरेंस खरीदारों के लिए किसी भी पीईडी के लिए क्लेम करने से पहले उनकी चिंता को कम करने वाली एक बड़ी परेशानी का समाधान करता है। पीईडी वेटिंग पीरियड को 48 महीने से घटाकर 36 महीने करने से, अधिक व्यक्तियों द्वारा हेल्थ इंश्योरेंस का विकल्प चुनने की संभावना है, जिससे देश में इंश्योरेंस की पहुंच बढ़ेगी। इसके अतिरिक्त, मोरेटोरियम (Moratorium) वेटिंग पीरियड जिसे 8 वर्ष से घटाकर 5 वर्ष कर दिया गया है, यह क्लेम अस्वीकार के बारे में संदेह को कम करके ग्राहकों का विश्वास भी बढ़ाएगा। इसके अलावा, निर्दिष्ट बीमारी का वेटिंग पीरियड अब 3 साल तक बढ़ सकता है जो पहले 4 साल था, इससे ग्राहकों को जल्दी कवरेज मिलेगा। ग्राहक के नजरिये से, छोटी वेटिंग पीरियड हमेशा बेहतर होता है क्योंकि यह अनिश्चितता को कम करती है और बीमारियों या उनके खिलाफ क्लेम के तुरंत कवरेज की अनुमति देती है।
पहली बार पॉलिसीधारकों के लिए, इस बदलाव का मतलब है कि उन्हें आगे चलकर कम वेटिंग पीरियड का लाभ मिलेगा। मौजूदा पॉलिसीधारकों को भी लाभ होगा, क्योंकि पॉलिसी रिन्युल पर नए 3-वर्षीय खंड के अनुरूप वेटिंग पीरियड कम हो जाएगी। कुल मिलाकर, यह पहल ग्राहकों के लिए फायदेमंद है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि उन्हें हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज प्राप्त करते समय बेहतर लाभ मिले और वेटिंग टाइम कम हो।