Khadi Industries
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
इस समय बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है जिस कारण कच्चे तेल से लेकर हर वस्तु की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है। वहीं कपास की कीमतों में भी बढ़ोतरी हो रही है लेकिन इसी बीच खादी उद्योग को विशेष आरक्षित निधि से राहत मिली है।
खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) ने कहा कि ऐसे वक्त में जब पूरा कपड़ा उद्योग कच्चे कपास की कीमतों में बढ़ोतरी से जूझ रहा है, उस समय बाजार के उतार-चढ़ाव से बचने के लिए बनाए गए विशेष आरक्षित निधि से खादी इकाइयों को मदद मिली।
जानना जरूरी है कि केवीआईसी ने 2018 में बाजार के उतार-चढ़ाव और अन्य घटनाओं का मुकाबला करने के लिए एक उत्पाद मूल्य समायोजन खाता (PPA) तैयार करने का फैसला किया था, जो उसके 5 केंद्रीय स्लिवर संयंत्रों (सीएसपी) के लिए एक आरक्षित कोष है।
आधिकारिक विज्ञप्ति के जरिए बताया गया है कि पूरा कपड़ा क्षेत्र कच्चे कपास की आपूर्ति में कमी और कीमतों में बढ़ोतरी से जूझ रहा है, तब केवीआईसी ने कपास की कीमतों में 110 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी के बावजूद अपने स्लिवर संयंत्रों से खादी संस्थानों को दिए जाने वाले स्लिवर/ रोविंग की कीमत नहीं बढ़ाने का फैसला किया है।
PPA कोष से होगा 4 करोड़ रुपये की अतिरिक्त लागत का वहन
बताया गया है कि केवीआईसी बढ़ी हुई दरों पर कच्चे कपास की बेल्स खरीदने के लिए 4.06 करोड़ रुपये की अतिरिक्त लागत का वहन पीपीए कोष से करेगा। केवीआईसी चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि इस फैसले से खादी संस्थानों के साथ ही खादी के खरीदार भी कीमत में बढ़ोतरी के नकारात्मक प्रभाव से बचेंगे। कच्चे कपास की कीमत पिछले 16 महीनों के दौरान 36,000 रुपये प्रति कैंडी से बढ़कर 78,000 रुपये प्रति कैंडी (हर कैंडी का वजन 365 किलोग्राम होता है) हो गई है।
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