Saturday, November 16, 2024
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मूल्यांकन में देरी से LIC के आईपीओ पर संशय

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LIC IPO delayed

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के मूल्यांकन में उम्मीद से ज्यादा वक्त लगने से इसका आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) चालू वित्त वर्ष में आने की संभावना कम ही दिख रही है।

आईपीओ लाने की तैयारियों से जुड़े एक मर्चेंट बैंकर के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि इस विशाल सार्वजनिक कंपनी के मूल्यांकन का काम अभी पूरा नहीं हुआ है और इसमें अभी कुछ और वक्त लग सकता है।

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मूल्यांकन का काम पूरा होने के बाद भी निर्गम से संबंधित कई नियामकीय प्रक्रियाओं को पूरा करने में वक्त लगेगा। सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी की देखभाल करने वाले विभाग दीपम ने एलआईसी के मूल्यांकन का कार्य मिलिमैन एडवाइजर्स को सौंपा है।

इस बीच निवेश एवं परिसंपत्ति प्रबंध विभाग (दीपम) के सचिव तुहीन कांत पांडेय ने भरोसा जताया कि एलआईसी का आईपीओ जनवरी-मार्च 2022 की तिमाही में ही लाया जाएगा।

उन्होंने रविवार को अपने एक ट्वीट में कहा कि आईपीओ से जुड़ी प्रक्रियागत तैयारियां सही चल रही हैं। इस सरकारी दावे के उलट मर्चेंट बैंकर के उस अधिकारी का कहना है कि आईपीओ लाने के पहले बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) की अनुमति लेनी होगी।

इसके अलावा बीमा क्षेत्र की नियामक संस्था भारतीय बीमा नियमन एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) से भी अनुमति लेनी होगी। गौर करने वाली बात है कि आईआरडीएआई के प्रमुख का पद करीब 7 महीने से खाली पड़ा है।

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इस अधिकारी के मुताबिक इस तरह की स्थिति में एलआईसी (LIC) का आईपीओ वित्त वर्ष 2021-22 में ही आने की संभावना बहुत कम दिख रही है। वित्त वर्ष में अब सिर्फ 3 महीने ही बाकी हैं।

एलआईसी का मूल्यांकन अपने आप में बेहद जटिल प्रक्रिया है। इसकी वजह यह है कि एलआईसी का आकार बेहद बड़ा और इसकी उत्पाद संरचना भी मिली-जुली है।

इसके पास रियल एस्टेट परिसंपत्तियां होने के अलावा कई अनुषंगी इकाइयां भी हैं। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि मूल्यांकन का काम पूरा नहीं होने तक सार्वजनिक कंपनी की शेयर बिक्री का आकार भी नहीं तय किया जा सकता है।

सरकार चालू वित्त वर्ष में ही एलआईसी का आईपीओ लाने की कोशिश में लगी हुई है। दरअसल इस वित्त वर्ष के विनिवेश लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपए को हासिल करने में यह आईपीओ बहुत अहम भूमिका निभा सकता है।

इसके अलावा सरकार को बीपीसीएल की रणनीतिक बिक्री से भी बहुत उम्मीद है। हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सरकार विनिवेश की दिशा में अच्छी तरह बढ़ रही है।

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उन्होंने कहा था कि नौकरशाही एवं विभिन्न विभागों की कमियों को दुरुस्त करने में समय लगता है लेकिन सरकार इसे तेज करने की कोशिश कर रही है।

एलआईसी की सूचीबद्धता के लिए सरकार पहले ही एलआईसी अधिनियम में संशोधन कर चुकी है। नए प्रावधानों के तहत एलआईसी में सरकार के पास सूचीबद्धता के पहले 5 वर्षों में न्यूनतम 75 प्रतिशत हिस्सेदारी बनी रहेगी लेकिन उसके बाद यह सीमा घटकर 51 प्रतिशत हो जाएगी। LIC

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