Saturday, November 9, 2024
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Privatization: बैंक निजीकरण के विरोध में जारी हड़ताल पर इस यूनियन के संस्थापक ने कहा कि नहीं दिख रहा सरकार पर हड़ताल का असर, आंदोलन को नई दिशा देने की जरूरत

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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली। 

Privatization: केंद्र सरकार के बैंकों के प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में बैंक कर्मियों की तरफ से बुलाई गई दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल आज दूसरे दिन पहुंच गई है। देश भर के सभी सरकारी बैंक कर्मी गुरुवार को भी हड़ताल पर रहे और शुक्रवार को भी हड़ताल पर बैठे हैं। इस संदर्भ में वॉयस ऑफ बैंकिंग के संस्थापक एवं पूर्व बैंक कर्मी अश्वनी राणा ने अपनी प्रतिक्रिया इंडिया न्यूज बिजेसन पर व्यक्त की है और कहा कि बैंक संगठनों द्वारा बैंक के निजीकरण के खिलाफ बुलाई गई दो दिवसीय हड़ताल का दबाव का असर केंद्र सरकार पर बिल्कुल नहीं दिख रहा है। अब सरकारी बैंक के निजीकरण के खिलाफ छिड़ी मुहिम को नई दिशा देने की सख्त जरूरत है। यह लड़ाई सरकार से न की ग्राहकों से, तो फिर उनको क्यों परेशानी दी जाए ?

हड़ताल में बैंक कर्मियों को कटवानी पड़ती है तनख्वाह Privatization

पूर्व बैंक कर्मी राणा ने कहा कि हर बार इस तरह की हड़ताल पर जाने से कोई समाधान नहीं हो रहा है। बल्कि हड़ताल पर जाने पर बैंक कर्मी अपनी तनख्वाह भी कटवाते हैं। अगर इस दो दिवसीय हड़ताल की बात करें तो बैंक कर्मियों को दो दिन के लिए औसतन 6 से 10 हजार रुपए की कटौती होगी। इसके अलावा जितने दिन कर्मी हड़ताल पर रहते हैं, उतना काम बैंक कर्मियों को हड़ताल खत्म होने के बाद बैंक में करना पड़ता है। इसलिए इस आंदोलन को अब एक नई दिशा देने की जरूरत है, जिसके बैंक कर्मियों का नुकसान न हो। उन्होंने कहा कि विगत दो सालों में कोरोना के चलते वैसे ही देश की अर्थव्यवस्था काफी नीचे चली गई है, जिसकी वजह से व्यापारियों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है व पड़ रहा है। ऊपर यह दो दिवसीय हड़ताल और भी प्रभाव डालेगी। आगे उन्होंने कहा कि सरकार को किसी तरह के बदलाव से पहले सभी स्टेक होल्डर्स से बात करना चाहिए।

इन संगठनों ने बुलाई देशव्यापी हड़ताल Privatization

बैंक कर्मियों की दो दिवसीय हड़ताल का आह्वान नौ बैंक संघों के मंच यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (UFBU) बैनर के तले बुलायी गई है। इसमें मुख्य रूप से अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (AIBOC), अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (AIBEA) और राष्ट्रीय बैंक कर्मचारी संगठन (NOBW) के सदस्य भी शामिल हैं।

सरकार इस सत्र में ही लाएगी विधेयक Privatization

पीएसयू बैंकों के निजीकरण के लिए केंद्र सरकार संसद में चल रहे शीतकालीन सत्र में बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 में पेश करने और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया है। सरकार ने इससे पहले 2019 में आईडीबीआई में अपनी अधिकांश हिस्सेदारी एलआईसी को बेचकर बैंक का निजीकरण किया था और साथ ही पिछले चार वर्षों में 14 सरकारी बैंकों का विलय किया है।

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Privatization Banks सार्वजनिक क्षेत्र बैंक का निजीकरण करना नहीं है देश हित में फैसला: अश्वनी राणा

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