Petition challenging changes in LIC Act Dismissed
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
सार्वजनिक बीमा कंपनी एलआईसी में सरकार की हिस्सेदारी बेचने के लिए वित्त विधेयक एवं एलआईसी अधिनियम में किए गए बदलावों को चुनौती देने वाली याचिका को मद्रास उच्च न्यायालय ने खारिज दिया है।
मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी और न्यायमूर्ति डी भरत चक्रवर्ती की पीठ ने एल पोनम्मल की तरफ से दायर एक जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा कि एलआईसी अधिनियम (LIC Act) में धन विधेयक (Money Bill) के जरिये किए गए बदलाव में किसी भी तरह की असंवैधानिकता नहीं है।
दरअसल, एलआईसी की पॉलिसीधारक पोनम्मल ने अपनी याचिका में कहा था कि एलआईसी में सरकारी हिस्सेदारी की बिक्री के लिए अधिनियम में बदलाव करने के लिए Money Bill का गलत तरीका अपनाया गया था। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 110 के तहत धन विधेयक लाकर नियमों में बदलाव किए गए जबकि यह मनी बिल की परिभाषा में ही नहीं आता है।
इस मामले में पीठ ने कहा कि भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) लाने के लिए एलआईसी अधिनियम में मनी बिल के जरिये बदलाव करने में संवैधानिक रूप से कुछ भी गलत नहीं है।
अपना निर्णय सुनते हुए पीठ ने कहा कि इस बारे में लाए गए विधेयक को मनी बिल के रूप में पेश किए जाने की लोकसभा अध्यक्ष की तरफ से दी गई स्वीकृति को चुनौती नहीं दी जा सकती है। इस मामले में लोकसभा अध्यक्ष का निर्णय ही अंतिम रूप से मान्य होगा।
केंद्र सरकार एलआईसी में अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचने के लिए IPO ला रही है। इसके लिए उसने बाजार नियामक सेबी के समक्ष आईपीओ से संबंधित मसौदा भी पेश किया है। सरकार को इस हिस्सेदारी बिक्री से 60,000 करोड़ रुपये से अधिक रकम जुटाने की उम्मीद है।
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