Petrol Price In India
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। इसके बावजूद देश में पेट्रोल-डीजल के दाम में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम 84 डॉलर प्रति बैरल पर भी पहुंच गए, बावजूद इसके घरेलू स्तर पर पेट्रोल और डीजल के दामों में लगातार 68 दिन से कोई बदलाव नहीं हुआ है। इस दौरान तेल की अंतराष्ट्रीय कीमतों में 16 डॉलर तक की वृद्धि हो चुकी है।
इसकी मुख्य वजह 5 राज्यों (उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा) में 10 फरवरी से होने वाले विधानसभा चुनाव को माना जा रहा है। आंकड़ों के अनुसार, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में आखिरी बार बदलाव 4 नवंबर 2021 को हुआ था। 2021 की दिवाली से एक दिन पहले (3 नवंबर 2021) केंद्र सरकार ने पेट्रोल, डीजल की एक्साइज ड्यूटी में क्रमश: 10 रुपए/लीटर और 5 रुपए/लीटर की कटौती का ऐलान किया था।
इसका असर तत्काल प्रभाव से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी के रूप में देखने को मिला था। उस समय तेल की कीमत अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी थी और पेट्रोल 100 रुपये/लीटर को पार कर गया था और डीजल 100 रुपये/लीटर के करीब पहुंच गया था। देश तब से लेकर आज तक पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं देखी जा रही है।
इसके बाद से अब 68 दिन हो गए हैं जब तेल कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। जून 2017 में पेट्रोल एवं डीजल की कीमतों में दैनिक आधार पर बदलाव की व्यवस्था लागू की गई थी। इसके पहले 17 मार्च, 2020 से लेकर 6 जून, 2020 के बीच लगातार 82 दिन तक दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ था। सरकार ने गत चार नवंबर को डीजल पर उत्पाद शुल्क में 10 रुपये प्रति लीटर और पेट्रोल में पांच रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी जिससे इनकी खुदरा बिक्री दरें भी घटी थीं।
कुछ सालों से चुनाव आते ही लग जाता ब्रेक (Petrol Diesel Price Vs Election 2022)
ये पहली बार नहीं है जब चुनाव के पहले पेट्रोल-डीजल की कीमतों में ठहराव आया है। पिछले कुछ सालों के ट्रेंड को देखें तो ये साफ नजर आता है कि कैसे सरकार चुनावों से ठीक पहले पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर ब्रेक लगाती है और चुनाव खत्म होते ही कीमत फिर से बढ़ने लगती हैं।
- जनवरी-अप्रैल 2017: इससे पहले जनवरी 2017 और अप्रैल 2017 के बीच भी करीब तीन महीने तक पेट्रोल और डीजल की कीमतों में ठहराव रहा था। उस दौरान उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए थे।
- दिसंबर 2017: तेल कंपनियों ने दिसंबर 2017 में गुजरात में विधानसभा चुनावों से पहले लगातार 14 दिनों तक तेल की कीमतों में संशोधन नहीं किया था। इन चुनावों से कुछ महीने पहले से ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी आई थी।
- मई 2018: ऐसा ही ट्रेंड कर्नाटक विधानसभा चुनावों के पहले मई 2020 में दिखा था। तब लगातार 20 दिनों तक पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ था, जबकि उस दौरान कच्चे तेल की कीमत करीब 5 डॉलर/बैरल तक बढ़ गई थी। 12 मई को वोटिंग खत्म होने के बाद पेट्रोल-डीजल की कीमतों में महज 15 दिनों के अंदर करीब 4 रुपए/लीटर तक की बढ़ोतरी हुई थी।
- मई 2019: लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान हालांकि फ्यूल प्राइसेज में ठहराव तो नहीं आया लेकिन तेल कंपनियों ने कच्चे तेल की कीमतों का भार घरेलू उपभोक्ताओं पर डालने की गति बहुत धीमी रखी।
- अक्टूबर-नवंबर 2020: बिहार विधानसभा के चुनावों को देखते हुए अक्टूबर से नवंबर 2020 तक पेट्रोल-डीजल के दामों में चेंज नहीं हुआ था। बिहार में 28 अक्टूबर से 7 नवंबर तक चुनाव थे और 10 नवंबर को परिणाम आया था। लेकिन 20 नवंबर के बाद इन दोनों की कीमत बढ़ने लगी थी।
- मई 2021: पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल, पुडुचेरी में 6 अप्रैल से 29 अप्रैल तक चुनाव हुए थे। इन चुनावों को देखते हुए 23 फरवरी के बाद से पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर ब्रेक लग गया था, जो 2 मई को विधानसभा चुनाव के नतीजों के आने तक जारी रहा। 4 मई से फिर से पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ना शुरू हो गई थी।
इंटरनेशनल मार्केट में कीमत रिकॉर्ड तोड़ (Price breaks record in international market)
इस साल जनवरी में इंटरनेशनल मार्केट में कच्चा तेल की कीमत करीब 30 फीसदी बढ़कर 88 डॉलर/बैरल तक पहुंच गई हैं, जोकि 2014 के बाद से कच्चे तेल की सर्वाधिक कीमत है। एक्सपर्ट का मानना है कि यूएई के तेल ठिकानों पर हौती विद्रोहियों के हमले से उपजे विवाद और रूस-यूक्रेन विवाद के चलते कच्चे तेल की कीमत आने वाले महीनों में 100 डॉलर/बैरल तक जा सकती है।
Will Fuel Be Expensive After Vidhan Sabha Chunav?
- भारत अपनी जरूरत का करीब 84 फीसदी पेट्रोलियम प्रोडक्ट आयात करता है, ऐसे में इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमत से ही देश में पेट्रोल-डीजल की कीमत तय होती है। लेकिन कच्चे तेल के महंगे होने के बावजूद देश में पेट्रोल-डीजल की कीमत ढाई माह से ज्यादा समय से स्थिर बनी हुई हैं।
- (Petrol Diesel Price Vs Election 2022) इसकी वजह पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों को माना जा रहा है। यूपी में आखिरी चरण की वोटिंग सात मार्च को होनी है, जबकि नतीजे 10 मार्च को आएंगे, ऐसे में चुनाव खत्म होते ही तेल की कीमतों का बढ़ना लगभग तय माना जा रहा है।
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