Rahul Bajaj
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
देश की दिग्गज टू-व्हीलर कंपनी बजाज के पूर्व चेयरमैन राहुल बजाज (Rahul Bajaj) का 83 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। बजाज ग्रुप को फर्श से अर्श तक ले जाने में राहुल बजाज की बड़ी भूमिका रही है। उनकी अगुवाई में ही टूव्हीलर बेचने वाली कंपनियों में बजाज अग्रणी कंपनी बनी।
राहुल बजाज का जन्म 10 जून 1938 को कोलकाता में मारवाड़ी बिजनेसमैन कमलनयन बजाज और सावित्री बजाज के घर हुआ था। उनके दादा जमनालाल बजाज भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। राहुल बजाज ने अमेरिका में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल, सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली, गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, मुंबई और कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल से पढ़ाई की है।
1965 में संभाली कंमान, बड़ी उपलब्धियां हासिल की
राहुल बजाज ने 1965 में बजाज समूह की कमान अपने हाथ में ली थी। उस समय भारत की अर्थव्यवस्था काफी खराब थी। उन्होंने बजाज चेतक नाम का स्कूटर (chetak scooter) बाजार में उतार था जोकि लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हुआ। यह स्कूटर (chetak scooter) भारत के मध्यम वर्गीय लोगों के लिए काफी मददगार साबित हुआ।
कम कीमत और रखरखाव में सुविधा होने के कारण मध्यम परिवारों में इस स्कूटर को लेने की होड़ मच गई। यहां तक कि 70 और 80 के दशक में बजाज स्कूटर खरीदने के लिए लोगों को 15 से 20 साल इंतजार करना पड़ता था। इन दिनों कई लोगों ने बजाज स्कूटर के बुकिंग नंबर बेचकर भी खूब पैसा कमाया।
उदारीकरण के समय भी कंपनी को आगे बढ़ाया (Rahul Bajaj)
1990 के दशक में भारत में उदारीकरण की शुरूआत हुई और भारत एक ओपन इकोनॉमिक की ओर आगे बढ़ा तो भारत में जापानी मोटर साइकिल कंपनियां आई। इन कंपनियों से भारतीय टूव्हीलर कंपनियों को कड़ी टक्कर मिलने लगी। ऐसे समय में भी राहुल बजाज ने कंपनी को आगे बढ़ाया। राहुल बजाज की अगुआई में बजाज आटो (Bajaj Auto) का टर्नओवर 7.2 करोड़ से 12 हजार करोड़ तक पहुंच गया।
50 साल तक संभाली चेयरमैनी (bajaj group former chairman)
वे 50 साल तक बजाज ग्रुप (bajaj group) के चेयरमैन रहे। 2005 में राहुल बजाज के बेटे राजीव ने कंपनी की कमान संभाली। राजीव को बजाज आटो का मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया था। इसके बाद आटोमोबाइल बाजार में बजाज के उत्पादों की मांग घरेलू बाजार से निकलकर अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बढ़ गई।
आजादी की लड़ाई में रहा अहम योगदान
बजाज ग्रुप की जड़ें स्वतंत्रता संग्राम से भी जुड़ी हुई हैं। राहुल बजाज के दादा जमनालाल बजाज भी दिग्गज उद्योगपति थे। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था। वे आजादी की लड़ाई के दौरान वे महात्मा गांधी के साथ थे। 1926 में जमनालाल बजाज ने ट्रेडिंग करने के लिए उन्हें गोद लेनेवाले सेठ बछराज के नाम से एक फर्म बनाई।
इस फर्म का नाम बछराज एंड कंपनी था। 1942 में जमनालाल जी का 53 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था। इसके बाद उनके दामाद रामेश्वर नेवटिया और दो पुत्रों कमलनयन और रामकृष्ण बजाज ने बछराज ट्रेडिंग कारपोरेशन की स्थापना की।
Rahul Bajaj की उपलब्धियां
- राहुल बजाज को भारत सरकार ने 2001 में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति, प्रणब मुखर्जी ने उन्हें 2017 में लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए सीआईआई राष्ट्रपति पुरस्कार प्रदान किया।
- 1979-80 और 1999-2000 में दो बार राहुल बजाज भारतीय उद्योग परिसंघ के अध्यक्ष चुने गए ।
- राहुल बजाज को फ्रांस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान नाइट आफ द नेशनल आर्डर आफ द लीजन आफ आनर नामक से भी नवाजा गया है।
- वे 2006 से 2010 के बीच राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके थे।
- बजाज आॅटो का टर्नओवर 7.2 करोड़ से 12 हजार करोड़ तक पहुंचाया।
- राहुल बजाज को आईआईटी रुड़की सहित 7 विश्वविद्यालयों द्वारा डॉक्ट्रेट की मानद उपाधि प्रदान की गई है।
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