Real Estate Regulatory Authority
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
घर खरीदारों की शीर्ष संस्था एफपीसीई ने रियल्टी कानून रियल एस्टेट नियामकीय प्राधिकरण (Real Estate Regulatory Authority) का क्रियान्वयन बेहतर तरीके से होने की उम्मीद जताई है। एफपीसीई के मुताबिक उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के बाद चीजें सही दिशा में बढ़ेंगी और कई घर खरीदारों को इसका लाभ मिलेगा।
दरअसल, उच्चतम न्यायालय ने 14 फरवरी को केंद्र को यह पता लगाने का निर्देश दिया था कि विभिन्न राज्यों में रियल एस्टेट नियामकीय प्राधिकरण (रेरा) के तहत बने नियमों में क्या एकरूपता है और कहीं वे मकान खरीदारों के हितों की अनदेखी तो नहीं करते हैं।
पिछले महीने न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने केंद्र को यह पता लगाने के लिये 3 महीने का समय दिया था कि राज्यों ने जो भी रेरा कानून बनाए हैं, वे केंद्र के 2016 में बने रेरा अधिनियम से अलग तो नहीं हैं। इस संदर्भ में पीठ ने मई, 2022 के पहले सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा था।
इस बारे में फोरम फॉर पीपल्स कलेक्टिव एफर्ट (FPCI) के अध्यक्ष अभय कुमार उपाध्याय ने कहा कि रेरा का क्रियान्वयन पूरी तरह से शुरू हुए को 5 साल बीच चुके हैं लेकिन यह अब भी अपने तय लक्ष्य के करीब तक नहीं पहुंचा है।
उन्होंने कहा कि इसकी प्रमुख वजह यह है कि राज्य जिनके पास इसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी होती है वे सामान्य रियल एस्टेटस कानूनों और बिक्री समझौता नियमों में किसी तरह की एकरूपता का पालन नहीं करते हैं।
उन्होंने कहा कि राज्यों के नियम रेरा के प्रावधानों के दायरे में नहीं आते, इससे कानून कमजोर हो जाता है और घर खरीदारों को रेरा के लाभ नहीं मिल पाते। इसका फायदा बिल्डर उठाते हैं। कॉलियर्स इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी रमेश नायर ने कहा कि राज्यों के रेरा नियमों की परख करने का उच्चतम न्यायालय का आदेश महत्वपूर्ण है क्योंकि विभिन्न राज्यों के रेरा नियमों में बिल्डर-खरीददार समझौतों को लेकर एकरूपता नहीं है।
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