Thursday, January 16, 2025
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Reliance ने फ्यूचर रिटेल के स्टोर टेकओवर करने शुरू किए

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Reliance Future Retail

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने फ्यूचर रिटेल के स्टोरों का संचालन अब प्रभावी रूप से अपने हाथों में लेना शुरू कर दिया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक रिलायंस ने फ्चूयर रिटेल के कर्मियों को रिलायंस रिटेल (Reliance Retail) के पेरोल पर रखने की शुरूआत की है। फ्यूचर रिटेल के स्टोरों का टेकओवर रिलायंस ने ऐसे समय में लेना शुरू किया है जब फ्यूचर रिटेल को लेकर कानूनी लड़ाई चल रही है और अभी इस मामले में कोर्ट का अंतिम फैसला आना बाकी है।

किशोर बियानी की फ्यूचर ग्रुप दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी Amazon के साथ फ्यूचर रिटेल को रिलायंस के हाथों में देने को लेकर किए गए एक सौदे के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रही है। हालांकि अमेजन ने इस मामले में कई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।

बताया गया है कि फिलहाल रिलायंस रिटेल (Reliance Retail) ने उन स्टोरों को अपने अंतर्गत लेना शुरू कर दिया है, जिसमें फ्यूचर रिटेल बिग बाजार जैसे अपने स्टोरों का संचालन कर रहा है और उन्हें अपने ब्रांड स्टोर से बदल रहा है। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने फ्यूचर रिटेल स्टोर्स के कर्मचारियों को नौकरी देना और उन्हें रिलायंस रिटेल के पेरोल पर लाना भी शुरू कर दिया है।

घाटे में चल रहे स्टोर लिए कब्जे में

बताया गया है कि फ्यूचर रिटेल अपने कई परिसरों का किराया नहीं चुका पा रही थी। अत: रिलायंस-फ्यूचर डील की अगस्त 2020 में घोषणा के बाद कई मकान मालिकों ने रिलायंस से संपर्क किया। इसके बाद रिलायंस ने इन मकान मालिकों के साथ लीज समझौतों पर हस्ताक्षर किए और जहां भी संभव हुआ, इन परिसरों को फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) को सब-लीज पर दे दिया गया, ताकि कारोबार जारी रह सके। स्टोरों को रिलायंस अपने कब्जे में ले रही है, वे घाटे में चल रहे हैं और बाकी स्टोर एफआरएल द्वारा संचालित होते रहेंगे।

Reliance-Future Deal में चल रही कानूनी लड़ाई

जानना जरूरी है कि करीब 2 साल पहले अगस्त 2020 में फ्यूचर ग्रुप ने रिलायंस रिटेल के साथ अपनी फ्यूचर रिटेल के लिए 24712 करोड़ रुपये की डील की थी। इस डील के तहत फ्यूचर ग्रुप की रिटेल, होलसेल, लॉजिस्टिक्स व वेयरहाउसिंग की 19 कंपनियों को मिलाकर एक कंपनी के रूप में रिलायंस को ट्रांसफर होगी। लेकिन ई कामर्स कंपनी अमेजन इस डील के खिलाफ सिंगापुर की अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र में चली गई। इस मामले पर अभी भारतीय सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली हाई कोर्ट और एनसीएलटी से फैसला नहीं आया है।

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