Relief To Frontline Investors
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:चीन से जारी सीमा जारी विवाद के बीच भारत सरकार कुछ चीनी निवेशकों को राहत देने पर विचार कर रही है। इसके तहत कुछ एफडीआई नियमों में बदलाव हो सकता है। वहीं FDI नियमों में बदलाव का मुख्य कारण कोरोना काल में लगे झटके के बाद अर्थव्यवस्था को उठाने का प्रयास भी माना जा रहा है।
दरअल, कोरोना महामारी के दौर में निवेश को गति देने के लिए सरकार प्रत्यक्ष विदेश निवेश के नियमों में कुछ बदलाव पर विचार कर रही है। नियमों में बदलाव को फरवरी तक मंजूरी दे दी जाएगी। अगर ऐसा होता है तो 6 बिलियन डॉलर का निवेश तुरंत हो जाएगा।
10 फीसदी से कम हिस्सेदारी वाले निवेशकों को मंजूरी की इजाजत नहीं
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर निवेशक भारतीय सीमा से सटे देशों से संबंधित है और उसका ओनरशिप 10 फीसदी से कम है तो निवेश के उस प्रस्ताव को मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होगी। यानि कि अगर सीमावर्ती देशों का निवेशक है और उस कंपनी में उसकी हिस्सेदारी 10 फीसदी से कम है तो कोई समस्या नहीं होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 6 बिलियन डॉलर का विदेशी निवेश वर्तमान नियम के कारण रुका हुआ है।
इस साल 82 अरब डॉलर का आया विदेशी निवेश
वाणिज्य मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020-21 में कुल 82 अरब डॉलर का FDI आया। अप्रैल-जुलाई अवधि में यह आंकड़ा 62 फीसदी बढ़कर 27 अरब डॉलर रहा था। मोदी सरकार के कार्यकाल में 2014-15 से 2020-21 के बीच कुल 440.27 अरब डॉलर का एफडीआई आया है।
भारत में बढ़गा निवेश (Relief To Frontline Investors)
बताया गया है कि नवंबर, 2021 तक चीन समेत अन्य सीमावर्ती देशों से आने वाले 100 निवेश प्रस्ताव को मंजूरी का इंतजार है। इनमें एक चौथाई से ज्यादा प्रस्ताव ऐसे हैं, जिनमें निवेश मूल्य लगभग 72 करोड़ रुपए से ज्यादा है। नियमों में ढील देने के बाद भारत में निवेश तेजी से बढ़ेगा।
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