Sunday, December 22, 2024
Sunday, December 22, 2024
HomeBusinessRice Export: गैर-मिलावटी बासमती व टूटे चावल के निर्यात से प्रतिबंध हटा,...

Rice Export: गैर-मिलावटी बासमती व टूटे चावल के निर्यात से प्रतिबंध हटा, सितंबर में लगी थी पाबंदी

- Advertisement -

केंद्र सरकार ने घरेलू बाजार में ऑर्गेनिक नन बासमती राइस (गैर-मिलावटी बासमती राइस ) जिसमें टूटा चावल भी शामिल है कि आवक बढ़ने और कीमतों के नरम पड़ने के बाद उसके निर्यात पर से प्रतिबंध हटा दिया है। इससे पहले घरेलू स्तर पर उपलब्धता में कमी ना हो इस लिए सरकार ने उस पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया था। उसके बाद नॉन बासमती चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत शुल्क लगाने का प्रावधान किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य घरेलू बाजार में आपूर्ति को सुनिश्चित करना था। विदेश व्यापार महानिदेशालय, डीजीएफटी की ओर से जारी एक नोटिफिकेशन में कहा गया है कि ऑर्गेनिक नॉन-बासमती ब्रोकन राइस सहित आर्गेनिक नॉन बासमती राइस का निर्यात अब सितंबर महीने में लगाए गए प्रतिबंध से पहले की तरह जारी रहेगा।

इस वजह से लगी थी चावल निर्यात पर पाबंदी

इस साल देश के कुछ राज्यों में बारिश औसत से भी कम होने के कारण धान का बुवाई क्षेत्र घट गया था. इससे चावल का उत्पादन प्रभावित हो गया. इसे देखते हुए सरकार ने घरेलू सप्लाई को बढ़ाने के लिए टूटे चावल और जैविक गैर-बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगा दी थी.

चीन के बाद भारत चावल का सबसे बड़ा उत्पादक देश

टूटे हुए चावल का इस्तेमाल शराब बनाने वाली इंडस्ट्री, एथेनॉल बनाने वाले उद्योगों, पॉल्ट्री और एनिमल इंडस्ट्री में होता है। चीन के बाद भारत चावल का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। चाव के वैश्विक बाजार में भारत की हिस्सेदारी 40% है। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-सितंबर के दौरान चावल का निर्यात 5.5 अरब डॉलर रहा। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2021-22 में यह 9.7 अरब डॉलर था। भारत सालाना लगभग 10,000-15000 टन ऑर्गेनिक राइस (बासमती और नॉन-बासमती) का निर्यात करता है।

घरेलू आपूर्ति में नरमी के बाद प्रतिबंध हटाने का लिया गया है फैसला लिया गया

घरेलू आपूर्ति में नरमी के बाद अब प्रतिबंध हटाने का फैसला लिया गया है। निर्यात पर प्रतिबंध सितंबर महीने के दौरान महत्वपूर्ण हो गया था क्योंकि ऐसा लग रहा था कि इस खरीफ सीजन में धान की बुआई का कुल क्षेत्रफल पिछले साल की तुलना में कम हो सकता है। सरकार ने तब सोचाा था कि कम फसल होने की आशंका से भाव प्रभावित हो सकते हैं, इसलिए घरेलू बाजार में आपूर्ति सुनिश्चित करने और कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए चावल के निर्यात को बैन कर दिया गया था।

पहले वाले नियमों से अब होगा निर्यात

फॉरेन ट्रेड के डायरेक्टोरेट जनरल ने मंगलवार को कहा कि टूटे हुए चावल और जैविक गैर-बासमती चावल के निर्यात पर अब पहले वाले नियम ही चलेंगे. बता दें कि अचानक से लगी रोक के कारण बड़ी मात्रा में चावल का स्टॉक बंदरगाहों पर फंस गया था.

SHARE
Koo bird

MOST POPULAR