SBI Recruitment Rules
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
भारत के सबसे बड़े बैंक (India Largest Bank) स्टेट बैंक आफ इंडिया (SBI) अपने नए कर्मियों व प्रमोट होने वाली महिला कैंडिडेट (Pregnant Women Candidates) के लिए कुछ नई मेडिकल फिटनेस गाइडलाइंस लेकर आया था। लेकिन इन नियमों का चौतरफा विरोध हुआ तो बैंक ने अब इन नियमों पर रोक लगा दी है।
Press release relating to news items about required fitness standards for recruitment in Bank. Revised instructions about recruitment of Pregnant Women candidates stands withdrawn.@DFS_India pic.twitter.com/QXqn3XSzKF
— State Bank of India (@TheOfficialSBI) January 29, 2022
दरअसल, एसबीआई की जो नई गाइडलाइंस आई थी, उसके मुताबिक जिन महिलाओं की प्रेग्नेंसी 3 महीने से अधिक की होगी, उन्हें अस्थाई रूप से फिट माना जाता। इतना ही नहीं महिला कर्मचारियों को बच्चे के जन्म के 4 महीने के भीतर बैंक में डयूटी ज्वाइन करने की मंजूरी मिलती।
यह नियम नये कर्मचारियों के लिए थे। रिक्रूटमेंट के लिए बैंक की यह नीति 21 दिसंबर 2021 से शुरू होनी थी और प्रमोशन के लिए 1 अप्रैल 2022 से प्रभावी होती। लेकिन एसबीआई के इन नियमों की चौतरफा आलोचना हुई। इन नियमों का आल इंडिया स्टेट बैंक आफ इंडिया एंप्लाईज एसोसिएशन ने काफी विरोध किया था।
State Bank of India seems to have issued guidelines preventing women who are over 3 months pregnant from joining service & have termed them as ‘temporarily unfit’. This is both discriminatory and illegal. We have issued a Notice to them seeking withdrawal of this anti women rule. pic.twitter.com/mUtpoCHCWq
— Swati Maliwal (@SwatiJaiHind) January 29, 2022
वहीं दिल्ली महिला आयोग ने भी बैंक को नोटिस भेजपा था, जिसमें कहा गया था कि बैंक अपनी इन नई गाइडलाइंस को वापस लें। बैंक की इस नीति को दिल्ली महिला आयोग की प्रमुख स्वाति मालीवाल ने भेदभावकारी और अवैध बताया था। वहीं बैंक के स्टॉफ भी इन नए नियमों का विरोध कर रहे थे।
इसके बाद बैंक को पीछे हटना पड़ा है और अपनी इन नए नियमों पर रोक लगा दी गई है। अब मौजूदा गाइलाइंस के हिसाब से 6 महीने तक की प्रेग्नेंट महिलाओं को बैंक ज्वाइन करने की मंजूरी है।
वित्त मंत्री को लिखा था पत्र (SBI Recruitment Rules)
बता दें कि इस मामले में सीपीआई के राज्यसभा सांसद बिनॉय विश्वम ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा था जिसमें बैंक के इस कदम को महिलाओं के अधिकारों का हनन बताया गया था और इसे तुरंत प्रभाव से वापस लेने की मांग की थी। इस फैसले को वापस लेने के लिए आल इंडिया स्टेट बैंक आफ इंडिया एंप्लाईज एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी केएस कृष्णा ने भी एसबीआई मैनेजमेंट को पत्र लिखा था।
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