इंडिया न्यूज, नई दिल्ली।
Story of Central Bank Of India भारत में सार्वजनिक क्षेत्र का प्रमुख बैंक है सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया। सोराबजी पोचखानावाला ने अपने सपने को साकार करते हुए देश की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली मुंबई (पूर्व में बंबई) में 21 दिसंबर 1911 को सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना की थी। सेंट्रल बैंक आफ इंडिया को पहला भारतीय वाणिज्यिक बैंक होने का गौरव भी प्राप्त है जिसका पूर्ण स्वामित्व और प्रबंधन स्थापना के समय भारतीयों के हाथ में था। स्वदेशी बैंक के पहले अध्यक्ष ‘सर फिरोजशाह मेहता’ थे।
बताते हैं कि सर सोराबजी पोचखानावाला इस बैंक की स्थापना से इतने गौरवान्वित हुए कि उन्होंने सेन्ट्रल बैंक को राष्ट्र की संपत्ति और देश की संपदा घोषित कर दिया। उन्होंने कहा कि ‘सेन्ट्रल बैंक जनता के विश्वास पर टिका है और यह जनता का अपना बैंक है। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने चार और स्थानों- सिंगापुर, दुबई, दोहा और लंदन में प्रतिनिधि कार्यालय खोलने की अनुमति के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से संपर्क किया है। मुंबई विश्व के सर्वोच्च दस वाणिज्यिक केन्द्रों में से एक है। भारत के अधिकांश बैंक एवं सौदागरी कार्यालयों के प्रमुख कार्यालय एवं कई महत्वपूर्ण आर्थिक संस्थान जैसे भारतीय रिजर्व बैंक, बम्बई स्टॉक एक्स्चेंज, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज एवं अनेक भारतीय कंपनियों के निगमित मुख्यालय तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियां मुम्बई में अवस्थित हैं। यह भारत के बारह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में से एक है जिसे 2009 में पुनर्पूंजीकरण किया गया था। इसके नाम के बावजूद यह भारत का केंद्रीय बैंक नहीं है। यह एक सार्वजनिक बैंक है। एनडीए सरकार की विलय की पहल में, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को इसकी अखिल भारतीय उपस्थिति के कारण एक अलग इकाई के रूप में रखा गया है। 31 मार्च 2020 तक के अनुसार बैंक के पास 4,651 शाखाओं, 3,642 एटीएम, दस उपग्रह कार्यालयों और एक विस्तार काउंटर का नेटवर्क है।
इसकी अखिल भारतीय उपस्थिति है, जिसमें सभी 28 राज्य, आठ केंद्र शासित प्रदेशों में से सात और देश के सभी जिलों में से 574 जिला मुख्यालय शामिल हैं। सन् 1918 तक सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया ने हैदराबाद में एक शाखा स्थापित कर ली थी। 1923 में इसने एलायंस बैंक ऑफ शिमला की विफलता के मद्देनजर टाटा इंडस्ट्रियल बैंक का अधिग्रहण किया गया। 1917 में स्थापित टाटा बैंक ने 1920 में मद्रास में एक शाखा खोली जो सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, मद्रास बन गई। 1918 तक इसने हैदराबाद में एक शाखा स्थापित कर ली थी। सन् 1920 में मद्रास में एक शाखा खोली जो सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया, मद्रास बन गई। सन् 1923 में इसने एलायंस बैंक ऑफ शिमला की विफलता के मद्देनजर टाटा इंडस्ट्रियल बैंक का अधिग्रहण किया। सन् 1925 में पास के सिकंदराबाद में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की एक शाखा का अनुसरण किया गया।
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने पहले भारतीय एक्सचेंज बैंक, सेंट्रल एक्सचेंज बैंक ऑफ इंडिया के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जो सन् 1936 में लंदन में खुला। हालांकि, बार्कलेज बैंक ने 1938 में सेंट्रल एक्सचेंज बैंक ऑफ इंडिया का अधिग्रहण किया। द्वितीय विश्व युद्ध से पहले, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने रंगून में एक शाखा की स्थापना की। शाखा का संचालन बर्मा और भारत के बीच व्यापार पर केंद्रित था और विशेष रूप से टेलीग्राफिक ट्रांसफर के माध्यम से धन संचरण। मुख्य रूप से विदेशी मुद्रा और मार्जिन से प्राप्त लाभ। बैंक ने ज्यादातर भारतीय व्यवसायों को भूमि, उपज और अन्य संपत्तियों के खिलाफ उधार दिया। सन् 1963 में बर्मा की क्रांतिकारी सरकार ने वहां सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के संचालन का राष्ट्रीयकरण किया, जो पीपुल्स बैंक नंबर वन बन गया। 1969 में भारत सरकार ने 19 जुलाई को 13 अन्य लोगों के साथ मिलकर बैंक का राष्ट्रीयकरण किया। सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया का नेमबोर्ड, शंकर शेठ रोड शाखा, पुणे 1980 के दशक में सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक और यूनियन बैंक आॅफ इंडिया की लंदन शाखाओं के प्रबंधकों को एक धोखाधड़ी में पकड़ा गया था जिसमें उन्होंने बांग्लादेशी जूट व्यापारी राजेंद्र सिंह सेठिया को संदिग्ध ऋण दिया था। इंग्लैंड और भारत में नियामक प्राधिकरणों ने तीनों भारतीय बैंकों को अपनी लंदन शाखाएं बंद करने के लिए मजबूर किया। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, मास्टरकार्ड के सहयोग से वर्ष 1980 में क्रेडिट कार्ड जारी करने वाले भारत के पहले बैंकों में से एक था। पिछले 110 वर्षों के इतिहास में बैंक ने कई उतार चढाव देखें और अनगिनत चुनौतियों का सामना किया। बैंक ने प्रत्येक आशंका को सफलतापूर्वक व्यावसायिक अवसर में बदल दिया और बैंकिंग उद्योग करके अपने समकक्षों से उत्कृष्ट रहा।