Sunday, September 24, 2023
Sunday, September 24, 2023
HomeBusinessफिल्म 'अब दिल्ली दूर नहीं' गोविंद जायसवाल की कहानी से प्रेरणा लें

फिल्म ‘अब दिल्ली दूर नहीं’ गोविंद जायसवाल की कहानी से प्रेरणा लें

- Advertisement -

हर साल छोटे कस्बों और गांवों से हजारों युवा अपनी आंखों में IAS बनने का सपना लेकर निकलते हैं। उनके पास रहने के लिए घर और ट्यूशन की फीस नहीं होती, लेकिन जुनून होता है कुछ कर दिखाने का, और यही जज्बा उन्हें हर हालात से निकलना सीखा देता है। कुछ शहर की चकाचौंध में खो जाते हैं तो कुछ उसमें होकर भी अपनी हकीकत को नहीं भूलते और आखिरकार अपनी मंजिल पा ही लेते हैं। तो ऐसे ही एक मैसेज को लेकर हाल ही में एक फिल्म आई है, जिसका नाम है “अब दिल्ली दूर नहीं”। इसमें एक ऐसे ही IAS की कहानी है, जो जीवन में तमाम संघर्ष और मुश्किल हालात में कामयाबी हासिल करके लोगों के लिए प्रेरणा का एक श्रोत बनता है। इसमें मुख्य भूमिका में इमरान जाहिद और श्रुति सोढ़ी हैं। इमरान जाहिद की एक्टिंग देखने लायक है, एक्सेंट से लेकर बॉडी लैंग्वेज तक हर तरह से वे अपने रोल में फिट बैठे हैं। इस फिल्म को देखकर यह कहा जा सकता है कि उनके लिए अब मुंबई दूर नहीं। “अब दिल्ली दूर नहीं” में इमरान के उल्टे श्रुति सोढ़ी हैं। पंजाबी फिल्मों में श्रुति पहले नज़र आ चुकी हैं, इसमें उनकी एक्टिंग काफी अच्छी है। तो फिल्म की लव स्टोरी से भी लोग कनेक्ट हो पाएंगे।

तो अब फिल्म की स्टोरी की बात करें तो, 12 मई को रिलीज़ हुई महेश भट्ट, इमरान जाहिद, श्रुति सोढ़ी और सत्यकाम आनंद की फिल्म ‘अब दिल्ली दूर नहीं’ की स्टोरी IAS अधिकारी गोविंद जायसवाल की जीवन से प्रेरित है। गोविंद जायसवाल के माता-पिता ने अपने बेटे के सपने को पूरा करने के लिए बहुत कठिनाईयों का सामना किया है। गोविंद बिहार के एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं और उनके पिता रिक्शा चलाते थे। फिल्म के हीरो अभय शुक्ला यानी इमरान जाहिद हैं, जिन्हें बचपन में बहुत मुश्किलें झेलनी पड़ीं। तो उनसे किसी ने कहा कि अगर आईएएस बन जाओ तो ये सब समाप्त हो जाएगा। उसी पल उन्होंने ठान ली कि अब ऑफिसर बनकर रहेंगे। तो अभय शुक्ला नाम का एक गरीब किसान का बेटा अपने घर की गरीबी दूर करने और माता-पिता के सपने को पूरा करने के लिए पहली बार दिल्ली आया, तो उसके लिए यहां सब कुछ नया था जिसके चलते उसे यहां अच्छे और बुरे सभी तरह के चैलेंजेस का सामना करना पड़ता है। वह जिसके घर में रहता है, उस मकान के मालिक की बेटी नीयति से उसे प्यार हो जाता है, लेकिन उसे ठेस तब लगती है, जब उसे पता चलता है कि नीयति ने उसके दिल के साथ केवल खिलवाड़ किया था। तो उसे नीयति से नफरत हो जाती है और वह काफी ज्यादा परेशान हो जाता है और अपने मिशन से भटकने लगता है। तो फिल्म में एक प्यारी सी लव स्टोरी भी है, जो फिल्म को देखने लायक बनाती है।

फिल्म की कहानी इसके बाद एक अलग मोड़ ले लेती है जो वाकई काफी दिलचस्प है और आखिर में केवल 22 साल की उम्र में गोविंद जयसवाल का UPSC में सेलेक्शन हो जाता है और वह एक मिसाल बन जाते हैं। इस फिल्म को रेटिंग देनी हो तो हम इसे 3.7 रेटिंग देंगे। वही इस कहानी को पर्दे पर उतारने वाले डायरेक्टर हैं कमल चंद्र जिन्होंने पूरी फिल्म की कहानी को बड़े ही एट्रैक्टिव ढंग से पेश किया है। साथ ही आपको बता दें कि ये फिल्म कहानी के अलावा एक और वजह से चर्चा में है। इस फिल्म के कॉस्ट्यूम को तिहाड़ जेल के कैदियों ने डिजाइन किया हैं। बड़े पर्दे पर ऐसा पहली बार हुआ है। डिजाइनर विंकी सिंह की देखरेख में फिल्म के सभी कैरेक्टर्स के कपड़ों को तिहाड़ की महिला कैदियों ने डिजाइन किया हैं। फिल्म ‘अब दिल्ली दूर नहीं’ की पूरी शूटिंग दिल्ली के मुखर्जी नगर, दिल्ली यूनिवर्सिटी, कनॉट प्लेस जैसे कई खूबसूरत लोकेशन पर हुई है। इस फिल्म में तीन गाने ‘ठुल्लू रे’, ‘हमारी अधूरी कहानी’ और ‘महसूस हुआ’ हैं। ‘महसूस हुआ’ एक रोमांटिक सांग है, जिसे जुबिन नौटियाल ने गाया है। इस गाने में इमरान जहीद और श्रुति सोधी के बीच की केमिस्ट्री बहुत अच्छी लगी है। लोगों की तरफ से इसे बहुत प्यार मिला है।

तो वीकेंड पर मसालेदार और तड़क भड़क से अलग कुछ देखना चाहते हैं तो ये फिल्म जरूर देखें। शहर से हो या गांव से, आप इससे जरूर कनेक्ट कर पाएंगे। और इस फिल्म के ज़रिए एक सच्चा मैसेज आपको मिलेगा।

SHARE
Koo bird

MOST POPULAR