Sunday, November 24, 2024
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राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड के लिए हो सकता है टाटा स्टील, जेएसडब्लू स्टील और अडाणी ग्रुप के बीच मुकाबला

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(नई दिल्ली): सरकार अगले महीने के अंत तक राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड और उसकी सब्सिडिरी के लिए एक्स्प्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट मंगा सकती है. हिस्सेदारी के लिए टाटा स्टील, जेएसडब्लू स्टील और अडाणी ग्रुप के बीच मुकाबला हो सकता है. दरअसल दिसंबर की शुरुआत में कंपनियों के साथ विचार विमर्श में इन कंपनियों ने हिस्सेदारी खरीदने में रुचि जताई थी.

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ईटी ने सूत्रों के हवाले से खबर आई है कि शुरुआती बातचीत में काफी सकारात्मक संकेत मिले हैं और टाटा स्टील, जेएसडब्लू स्टील और अडाणी ग्रुप की कंपनियों समेत 7 कंपनियों ने राष्ट्रीय इस्पात के लिए रुचि दिखाई है. कंपनी का वैल्यूएशन दिसंबर के अंत तक तय हो सकता है.

सार्वजनिक क्षेत्र की इस्पात कंपनी RINL के नाम

पिछले हफ्ते ही निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहीन कांत पांडेय ने जानकारी दी थी कि कि सरकार राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) की रणनीतिक बिक्री के लिए लेनदेन की संरचना तय करने में लगी हुई है. केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने जनवरी, 2021 में आरआईएनएल में सरकार की हिस्सेदारी का पूरी तरह रणनीतिक विनिवेश करने की सैद्धांतिक मंजूरी दी थी.

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इसके साथ ही आरआईएनएल की सब्सिडियरी इकाइयों एवं संयुक्त उद्यमों में भी सरकारी हिस्सेदारी की बिक्री की बात कही गई थी. सार्वजनिक क्षेत्र की इस्पात कंपनी आरआईएनएल को विशाखापत्तनम स्टील प्लांट या विजाग स्टील के नाम से भी जाना जाता है.

कंपनी की कुल सालाना क्षमता हैं 75 लाख टन

कंपनी देश की टॉप 6 स्टील उत्पादक कंपनियों में से एक मानी जाती है. कंपनी की कुल सालाना क्षमता 75 लाख टन है. साल 2021-22 में कंपनी का कुल टर्नओवर 28215 करोड़ रुपये था और कंपनी को 913 करोड़ रुपये के मुनाफा भी हुआ था

श्रमिक संगठन RINL की रणनीतिक बिक्री का विरोध

सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी का प्रबंधन करने वाले विभाग दीपम ने इस साल मार्च में आरआईएनएल के मूल्यांकन के लिए एक परिसंपत्ति मूल्यांकनकर्ता की नियुक्ति के लिए प्रस्ताव भी मंगाया था.

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सरकार की इस पहल के उलट श्रमिक संगठन आरआईएनएल की रणनीतिक बिक्री का विरोध कर रहे हैं. उन्होंने इस कंपनी का स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के साथ विलय करने का प्रस्ताव भी रखा था जिसे वित्त मंत्रालय ने नई सार्वजनिक उद्यम नीति का हवाला देते नकार दिया था.

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